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राज्य सरकार ने चारधाम देवस्थानम एक्ट (Chardham Devasthanam Act) पास कर बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत 51 मंदिरों को इसमें शामिल किया है. तीर्थ-पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने इसका भारी विरोध किया है.
नैनीताल सांसद अजय भट्ट के मुताबिक, देवस्थानम बोर्ड बनाने से पहले स्थानीय लोगों की राय जरूर लेनी चाहिए थी. और इस बोर्ड को लाने के लिए सभी तरह की तैयारियां करनी चाहिए थी. वहीं, अजय भट्ट ने कहा कि हो सकता है कि तैयारी करने में हमें कोई चूक हुई हो. पर जिस तरीके से विपक्ष इस को पूरे प्रदेश में मुद्दा बना रहा है उससे कहीं न कहीं यह जरूर लगता है कि विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक तौर पर भुनाना चाहता है. नैनीताल सांसद ने कहा कि जाहिर सी बात है अगर बोर्ड से लोगों को परेशानियां हो रही है तो ऐसे में इस पर पुनर्विचार सरकार कर सकती है.
उत्तराखंड की राजनीति में उथल-पुथल हो गया है
नैनीताल सांसद अजय भट्ट के देवस्थानम बोर्ड पर दिए गए बयानों के बाद उत्तराखंड की राजनीति में उथल-पुथल हो गया है क्योंकि पहले इस बोर्ड पर कांग्रेस ने लगातार सरकार को घेर रखा है. यही नहीं देवस्थानम बोर्ड के मामले में बीजेपी के ही सांसद और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नैनीताल हाईकोर्ट में तीर्थ पुरोहित के पक्ष में देवस्थानम बोर्ड के विरोध में केस लड़ रहे हैं. हालांकि, इस मामले में सरकार ने भी अपना पक्ष नैनीताल हाईकोर्ट में रखा है.उत्तराखण्ड हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है
चारधाम देवस्थानम एक्ट पर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. सभी पक्षकारों ने कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिए हैं. उसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच कभी भी इस पर अपना निर्णय दे सकती है. वैसे हाईकोर्ट ने 29 जून से इस मामले में फ़ाइनल हियरिंग शुरू की थी. पहले सरकार ने अपना पक्ष रखा. फिर इस मामले में सरकार के समर्थन में आई रुलेक संस्था ने अपना पक्ष रखा. और फिर इस कानून को चुनौती देने वाले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने तर्क पेश किए.
तीर्थ-पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने इसका भारी विरोध किया है
वहीं, राज्य सरकार ने चारधाम देवस्थानम एक्ट पास कर बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत 51 मंदिरों को इसमें शामिल किया है. तीर्थ-पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने इसका भारी विरोध किया है. देवस्थानम बोर्ड को लेकर सड़क से विधानसभा तक विपक्ष ने भारी हंगामा किया था. लेकिन फिर भी सरकार ने इसको विधानसभा से पास करवा लिया था. ऐसे में राज्य सरकार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है. इसलिए आप खड़ी हो गई है क्योंकि उन्हीं के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. पर अजय भट्ट के देवस्थानम बोर्ड पर ऐसे समय पर सवाल उठाया है जब इसका फैसला आना बाकी है. जाहिर सी बात है कि बीजेपी में अगर इस तरीके से सरकार के फैसलों पर उंगलियां उठाई जाने लगी तो कहीं न कहीं इसका खामियाजा 2022 के विधानसभा चुनावों में जरूर पड़ेगा. क्योंकि अब बमुश्किल से इस बीजेपी सरकार को डेढ़ साल का वक्त रह गया है.
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