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लंबे आपराधिक इतिहास वाले विजय मिश्रा (Vijay Mishra) भदोही से लगातार four बार विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं. पहले तीन बार वह समाजवादी पार्टी से विधायक रहे, 2017 में जब सपा से टिकट कटा तो निषाद पार्टी से चुनाव लड़ गए और बीजेपी की लहर में भी ज्ञानपुर सीट पर कब्जा बरकरार रखा.
बता दें एक दिन पहले ही विजय मिश्रा ने अपने व अपने परिवार की जान का खतरा बताते हुए एक वीडियो जारी किया था. विधायक का आरोप है कि जिला पंचायत चुनाव को लेकर उनके खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है. विधायक ने कहा था कि वह ब्राह्मण हैं और उनका एनकाउंटर हो सकता है. हालांकि पुलिस ने विधायक के बयान को असत्य और निराधार बताया है.
16 मुकदमे चल रहे हैं
वैसे विजय मिश्रा का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है. विजय मिश्रा के खिलाफ एक समय 60 से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज थे. हालांकि समय के साथ ये कम होते गए. 2017 विधानसभा चुनाव में विजय मिश्रा ने जो शपथपत्र दिया, उसके अनुसार हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश रचने जैसे तमाम गंभीर मामलों के 16 मुकदमे उन पर चल रहे हैं.1990 में ब्लॉक प्रमुख बनकर शुरू किया राजनीतिक सफर
भदोही की ज्ञानपुर सीट से विजय मिश्रा लगातार चौथी बार विधायक चुने गए हैं. 2017 में वह निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते, इससे पहले समाजवादी पार्टी से वह three बार विधायक रहे. three दशक पहले 1990 में विजय मिश्रा ने भदोही से कांग्रेस ब्लॉक प्रमुख के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की.
सपा से लगातार three बार विधायक
2002 में वह पहली बार ज्ञानपुर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते और विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 2008 और 2012 में भी वह सपा के टिकट पर चुनाव जीते. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विजय मिश्रा को टिकट नहीं दिया, जिसके बाद वह निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े. इस चुनाव में बीजेपी की बड़ी लहर के बावजूद विजय मिश्रा चुनाव जीतने में सफल रहे.
बसपा सरकार में मंत्री नंदी पर जानलेवा हमले का आरोप
काफी समय तक विजय मिश्रा की बसपा सुप्रीमो मायावती से लंबी लड़ाई चली. विजय मिश्रा पर 2010 में तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री नंद कुमार नंदी पर जानलेवा हमला करने का आरोप है. इलाहाबाद (प्रयागराज) में नंदी पर बम से हमला किया गया, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी और एक पत्रकार मारे गए थे. नंदी इस समय योगी सरकार में मंत्री हैं. घटना के बाद विजय मिश्रा फरार हो गए, 2012 चुनावों से पहले कोर्ट में सरेंडर किया. और इसके बाद हुए चुनाव में वह आराम से जीत गए.
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