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इस चिटफंड घोटाले से करीब तीन हजार करोड़ रूपये इकट्ठा किए गए थे. केन्द्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ( Enforcement Directorate ) ने उत्तर प्रदेश में हुए बाइकबोट घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 103 करोड़ 73 लाख रूपये की संपत्तियों को अटैच कर लिया है.

नई दिल्ली/लखनऊ. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तर प्रदेश के बाइक-बोट घोटाला मामले में ईडी बड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपियों की लगभग 103 करोड़ 73 लाख रूपये की संपत्तियों को अटैच कर लिया है. बता दें कि बाइक-बोट घोटाला मामले में करीब एक लाख 75 हजार से ज्यादा लोगों के साथ ठगी की गई थी. अधिकारियों के मुताबिक ईडी के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय ने 101.45 करोड़ रुपये मूल्य की 26 अचल संपत्तियां और 22 बैंक खातों में जमा 2.28 करोड़ रुपये की राशि अस्थायी रूप से कुर्क कर ली है. ग्रेटर नोएडा से संचालित बाइक बॉट टैक्सी सेवा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा सहित कई राज्यों में 2.25 लाख निवेशकों से लगभग तीन हजार-चार हजार करोड़ रुपये की ठगी करने की आरोपी है.

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई
गौरतलब है कि इस चिटफंड घोटाले से करीब तीन हजार करोड़ रूपये इकट्ठा किए गए थे. केन्द्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ( Enforcement Directorate ) ने उत्तर प्रदेश में हुए बाइक-बोट घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 103 करोड़ 73 लाख रूपये की संपत्तियों को अटैच कर लिया है. क्योंकि बाइकबोट टैक्सी घोटाला को अंजाम देने वाली कंपनियों ने करीब एक लाख 75 हजार से ज्यादा लोगों को चूना लगाया था. ये घोटाला करीब तीन हजार करोड़ से ज्यादा का है. ये मामला साल 2016 से 2019 के बीच का है. इस मामले में जांच एजेंसी ईडी ने मेसर्स गर्वित इनोवेशन प्रमोटर्स लिमिटेड कंपनी (GIPL ) के खिलाफ कार्रवाई की है. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA ) के तहत कार्रवाई करते हुए उन संपत्तियों को अटैच किया है. बाइक बोट टैक्सी कंपनी के संचालक पूर्व बीएसपी नेता संजय भाटी थे. दरअसल इस फर्जीवाड़े मामले में कई कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका की जानकारी मिली है, उन कंपनियों के निदेशक विंजिदर सिंह उर्फ विंजिंदर हुड्डा बताए गए थे लेकिन बाद में उन तमाम कंपनियों को पूर्व बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता संजय भाटी ने खरीद लिया था.

दरअसल ईडी ने कुल 26 अचल संपत्तियों को अटैच किया है. अटैच की गई ये संपत्तियां यूपी के कानपुर, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर और मध्यप्रदेश के इंदौर में स्थित हैं. इस कंपनी के 22 बैंक एकाउंट को भी खंगालते हुए जांच एजेंसी कार्रवाई कर रही है. साल 2019 में ईडी ने इस मामले में PMLA कानून के तहत यूपी के कई इलाकों में दर्ज एफआईआर को आधार बनाते हुए इस केस को टेकओवर किया था. उसके बाद इस मामले को दर्ज करने के बाद यूपी सहित दिल्ली और मध्य प्रदेश में छापेमारी की थी.फर्जी कंपनियों और कई ट्रस्ट में दान के नाम पर खपाई गई रकम

बाइक-बोट घोटाला को साधारण शब्दों में इस तरह समझा जा सकता है कि ओला और उबर जैसी कंपनियों की तर्ज पर बाइक टैक्सी चलवाने का झांसा देकर एक प्रोजेक्ट लांच करवाने की तैयारी की घोषणा की गई थी, इसका झांसा देकर हजारों-लाखों निवेशकों से करोड़ों रूपये की ठगी की गई थी. ईडी के मुताबिक बाइक-बोट कंपनी ने करीब एक लाख 75 हजार निवेशकों को काफी मोटे मुनाफे का लालच देकर करीब तीन हजार रुपये का निवेश करवाया. लोगों से पैसे निवेश करवाने के बाद उस फंड को फर्जी कंपनियों और ट्रस्ट में दान के नाम पर सारी रकम खपा दी गई. उसके बाद उस दान वाली रकम को कुछ कमीशन देकर संचालकों ने फिर से घुमाकर अपने खातों में ले लिया था. लिहाजा इस मनी ट्रेल को खंगालते हुए ईडी की टीम ने ये कार्रवाई की है.

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ईडी की टीम ने इस मामले के आरोप में पैंटल टेक्नॉलजी,पाइमेक्स ब्रॉडकॉस्ट,पाइमेक्स प्लास्टिक्स सहित प्रेरणा सर्विसेज नाम की कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की थी. इसके साथ ही मार्स ग्रुप,अकार्ड हाइड्रोलिक्स,भसीन इन्फोटेक,नोबेल बिल्डटेक नाम की कंपनियों से जुड़े तमाम आरोपों की भी ईडी ने विस्तार से तफ्तीश की है. ईडी की टीम को छापेमारी के दौरान गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स और गर्वित ऑटोमोटिव नाम की कंपनी के दफ्तर से काफी महत्वपूर्ण सबूत और दस्तावेज मिले थे.



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