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गंगा नदी (River Ganges) का जलस्तर बढ़ने (Water Level) से लगभग साढ़े तीन हजार की आबादी वाला यह गांव राजधानी पटना (Patna) से पूरी तरह से कट गया है. आलम यह है कि टापू में तब्दील हो चुके इस गांव के लोगों की जिंदगी अब नाव और रस्सी के सहारे कट रही है
पटना के दीघा इलाके से सटा बिंद टोली गंगा के जलस्तर बढ़ने की वजह से शहर से पूरी तरह से कट गया है. यहां लगभग 150 घरों में तकरीबन तीन हजार की आबादी बसती है. कुर्जी अस्पताल और पाटलिपुत्र कॉलोनी से महज एक किलोमीटर की दूरी पर बसा बिंद टोली सरकारी उपेक्षा की कहानी कह रहा है. गांव तक पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है और इससे बंधी रस्सी गांववालों के लिए लाइफलाइन है.
बिंद टोली के निवासी सरकारी उपेक्षा से हैं नाराज
न्यूज़ 18 की टीम इसी रस्सी के सहारे बिंद टोली पहुंची और लोगों से बात की. बिंद टोली में रहनेवाले लोग सरकारी उपेक्षा से बेहद नाराज हैं. इनका कहना है कि चार साल पहले मौजूदा सरकार ने उनसे झूठा वादा कर के उनके गांव को दीघा इलाके में बसा दिया. और यह आश्वासन दिया था कि कुछ महीने के भीतर गांव तक पहुंचने के लिए पुलिया बना दिया जाएगा जिससे उनका संपर्क राजधानी से हो जाएगा. लेकिन चार साल बीतने के बाद भी अब तक पुल क्या कोई पक्की सड़क तक सरकार ने नहीं बनवाई.गांव के मुखिया यदु कहते हैं कि सरकार हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे हम कोई पाकिस्तानी या बांग्लादेशी हों. बिंद समाज अतिपिछड़ा समाज से आता है जिसका वोट बैंक बिहार की सरकार बनाने में मददगार साबित होता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसी अतिपिछड़ा समाज के दम पर कई वर्षों से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं.
गांववालों के मुताबिक चार साल पहले वो लोग दीघा जेपी सेतु के नीचे रहते थे. उस समय जेपी सेतु का निर्माण कार्य चल रहा था तब सरकार ने उन्हें वहां से हटा कर दीघा कुर्जी मोड़ के पास विस्थापित कर दिया. जो आज बिंद टोली के नाम से जाना जाता.
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