[ad_1]
Bihar Election 2020: बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू इस असमंजस में है कि वह बीजेपी और राम मंदिर दोनों का एक साथ समर्थन कैसे करे, क्योंकि उनको अल्पसंख्यक वोट की भी दरकार है.
ऐसे समय में जब राम मंदिर का शिलान्यास हो चुका है, अब बिहार चुनाव में इसका कितना फायदा मिलेगा या बीजेपी राम नाम को कितना भुनाएगी इस पर चर्चा शुरू हो गई है. बिहार सियासतदारों की राम मंदिर और बिहार चुनाव के मुद्दे पर अलग-अलग राय है.
राम मंदिर सांस्कृतिक लड़ाई थी- बीजेपी
लगातार 30 वर्षों से बीजेपी के लिए राम मंदिर चुनावी मुद्दा रहा है. इस बात से बीजेपी के नेता इंकार नहीं करते हैं और कहते हैं कि उनकी यह सांस्कृतिक लड़ाई थी जो उन्होंने लड़ी है. बीजेपी विधायक नितिन नवीन कहते हैं कि राम मंदिर के लिए बीजेपी प्रतिबद्ध थी, क्योंकि राम मंदिर सिर्फ ईट-पत्थरों से बनी मंदिर नहीं थी. यह भारतीय समाज और भारतीय जन भावना की मांग थी. इसलिए बीजेपी ने अपने चुनावी एजेंडे में इसे रखा था. भारत की बहुसंख्यक समाज राम मंदिर के नाम पर एकजुट थी और है. बीजेपी ने कभी भगवान राम के नाम पर वोट नहीं मांगा है. अपने काम के बदौलत वोट मांगा है और बीजेपी अक्सर काम पर ही भरोसा करती है. हम जन भावनाओं के साथ अक्सर खड़े होते हैं और इसका फायदा हमें मिलता रहा है और मिलता रहेगा.
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर पूजन करते पीएम नरेंद्र मोदी
हम धर्म के नाम पर चुनाव में नहीं जाते हैं- जेडीयू
बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू इस असमंजस में है कि वह बीजेपी और राम मंदिर का साथ कैसे दे, क्योंकि उनको अल्पसंख्यक वोट की भी दरकार है. ऐसे में जेडीयू के वरिष्ठ नेता गुलाम रसूल बलियावी कहते हैं कि राम मंदिर का बनना चुनाव के लिए बहुत महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि जेडीयू चुनाव में धर्म और जाति को लेकर नहीं जाती है. हमारे नेता नीतीश कुमार अपने काम के बदौलत, अपने विकास के बदौलत और अपनी दूर दृष्टि के बदौलत राजनीति करते हैं. इसमें धर्म और जात आड़े नहीं आती है और बिहार की जनता भी जेडीयू को धर्म की निगाह से नहीं देखती है.
राम नहीं कोरोना और बाढ़ से मुक्ति चाहिए- RJD
बिहार की विपक्षी दल आरजेडी खुलकर राम मंदिर का विरोध तो नहीं करती है, लेकिन राम के नाम पर बीजेपी और जेडीयू को आईना जरूर दिखा रही है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि जिंदगी भर राम के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी बीजेपी राम के चरित्र और मर्यादा को भूल चुकी है. भगवान राम ने एक समरस समाज बनाया था, लेकिन बीजेपी समाज में फूट डालती है. बीजेपी राम-राम कह के सत्ता में तो आती है, लेकिन सत्ता में आने के बाद राम के चरित्र मर्यादा और नीति को भूल जाती है. राम के नाम पर इस चुनाव में बीजेपी और जेडीयू को वोट नहीं मिलने वाला है. वजह साफ है कि बिहार की जनता को बाढ़ और कोरोना से मुक्ति चाहिए. इसके लिए सत्तारूढ़ दल कुछ नहीं कर रही हैं और इसका खामियाजा इनको आने वाले चुनाव में भुगतना होगा.
[ad_2]
Source