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सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने पीएम मोदी (PM Modi) से कहा है कि बिहार की कोसी-मेची नदी परियोजना को राष्ट्रीय नदी जोड़ परियोजना में शामिल किया जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2008 में कोसी त्रासदी के समय भी बांध टूटने से बिहार पूरी तरह प्रभावित हुआ था. इस वर्ष भी मधेपुरा जिले में पहले से बने हुए बांध की मरम्मती और मधुबनी में नो मैन्स लैंड में बने बांध की मरम्मती कार्य में नेपाल सरकार द्वारा सहयोग नहीं किया गया. उन्होंने पीएम को बताया कि उत्तर बिहार बाढ़ से अभी पूरी तरह प्रभावित है. राज्य में सितंबर माह तक बाढ़ की आशंका बनी हुई रहती है. अब सवाल उठता है कि आखिर बिहार के सीएम इतने आहत क्यों हो गए कि पीएम से शिकायत करनी पड़ी?
बता दें कि बिहार और नेपाल के बीच 700 किलोमीटर का बार्डर है. जल संसाधन विभाग के अनुसार बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ ग्रस्त राज्य है और यहां देश का 17.2 फ़ीसदी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है. बिहार के 38 में से 28 ज़िले बाढग्रस्त हैं. इनमें भी उत्तर बिहार में अररिया, गोपालगंज, कटिहार, पूर्णिया, सहरसा, सीतमढ़ी समेत 21 जिले आते हैं, जिनका क्षेत्रफल 52928 वर्ग किलोमीटर है. उत्तर बिहार की अधिकतर नदियों जैसे कोसी, गंडक, बागमती, कमला, बूढ़ी गंडक आदि का उद्गम नेपाल है और हर साल ये बिहार में बाढ़ की वजह भी बनती है.
ललबकेया, बागमती, कमला और खंडो नदियों पर नेपाली क्षेत्र में तटबंध का विस्तार भारत और नेपाल के विशेषज्ञों की संयुक्त टीम द्वारा तैयार किया जाता है. कोसी को लेकर 1954 और 1966 में भारत नेपाल समझौता हुआ है. वहीं गंडक को लेकर 1959 और 1964 में समझौता हुआ है. गंडक बराज के 18 गेट बिहार में और 18 गेट नेपाल में है. वाल्मीकि नगर फाटक (पश्चिम चंपारण) में काम रोका गया था. नेपाल ने 23 जून को ही गंडक बराज पर नेपाल की तरफ़ काम करने की सहमति दे दी तब तक काफी देर हो चुकी थी.
बिहार में बाढ़ से 14 से अधिक जिले बुरी तरह प्रभावित हैं
गौरतलब है कि फिलहाल राज्य के 16 जिलों के 125 प्रखंडों के 2232 पंचायतों की 74 लाख 20 हजार से ज्यादा की जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित है. ऐसे में राहत और बचाव के लिए बिहार को अपने अतिरिक्त संसाधन लगाने पड़ रहे हैं जो बिहार जैसे कम विकसित राज्य के लिए टफ टास्क है. जाहिर है ऐसे में बिहार को हर साल केंद्र से मदद लेनी पड़ती है. यही बात बिहार के मुखिया यानी सीएम नीतीश को नागवार गुजर रही है और वह इसका स्थायी समधान चाहते हैं.
यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को कहा है कि बिहार की कोसी-मेची नदी परियोजना को राष्ट्रीय नदी जोड़ परियोजना में शामिल किया जाए. इससे दो लाख 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र लाभान्वित होगा। नदी जोड़ने से बाढ़ की आशंका कम होगी और पानी का लोग ज्यादा उपयोग कर सकेंगे. बाढ़ नियंत्रण में भी सहूलियत होगी. बहरहाल ये बात तो सही है है कि हाल के दिनों में नेपाल और भारत के संबंधों में असहजता आई है. इसका सीधा असर बिहार पर पड़ रहा है.
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