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आंचल का परिवार अपनी लाडली के पास इस मुश्किल वक्त में जाना चाहता है, लेकिन वे कोरोना की वजह से बेबस हैं. लिहाजा उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि परिवार के किसी भी एक सदस्य को बेरूत जाने की अनुमति दी जाए.
बेरूत में अच्छा इलाज मिल रहा
हालांकि परिजनों का कहना है कि लेबनान के बेरूत में मेरठ की बेटी को अच्छा इलाज मिल रहा है और वहां इंडियन एंबेसी के लोग भी काफी मदद कर रहे हैं. फिर भी अगर उनके परिवार के किसी भी एक सदस्य को वहां जाने का प्रबंध सरकार की तरफ से कर दिया जाए तो और बेहतर होगा.
सिर्फ पांच मिनट के लिए बात हो पाईमेरठ के शास्त्रीनगर में रह रहे पत्रकार आंचल के परिवारवाले बताते हैं कि इस भयानक हादसे के बाद सिर्फ पांच मिनट के लिए उनकी बात हो पाई है. आंचल ने फोन पर सिर्फ इतना बताया कि वह एक भयानक हादसे का शिकार हुई हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें मामूली चोट आई है, इस भयानक हादसे में वह बाल-बाल बच गई हैं. प्राथमिक उपचार (First Aid) के बाद वह अपने दोस्त के घर पर हैं. बेरूत में आंचल से भारतीय राजदूत ने भी मुलाकात कर हालचाल जाना है.
कोरोना के कारण बेबसी
लेबनान के बेरूत में कार्य कर रहीं पत्रकार आंचल वोहरा के भाई अंकित ने बताया कि उन्होंने पहले देश के कई मीडिया हाउस में काम किया है. लेकिन आजकल वे वॉयस ऑफ अमेरिका के लिए काम करती हैं. आंचल ने करीब सात साल पहले जर्मन में रहनेवाले एक शख्स से शादी की थी. तब से वो लेबनान में ही रहती हैं. आंचल का परिवार अपनी लाडली के पास इतने मुश्किल वक्त में जाना चाहता है, लेकिन वे कोरोना की वजह से बेबस हैं. लिहाजा परिवार ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनके परिवार के किसी भी एक सदस्य को बेरूत जाने की अनुमति दी जाए.
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