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सम्मान कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ीं महिला कोरोना योद्धाओं (Corona Warriors) ने अपने-अपने अनुभव साझा किए.
कोरोनाकाल में इन महिला कोरोना योद्धाओं ने अथक परिश्रम किया है. चाहे वो पुलिस की वर्दी पहनी महिला सिपाही हों या फिर एप्रन पहनकर सेवा में जुटीं डॉक्टर्स और नर्सेज हों. सभी ने इस दौरान अपने और अपने परिवार की चिंता किए बिना समाज की फिक्र की है.
बैंकिंग सेवा से जुड़ी एक महिला ने बताया कि वो इस दौरान अपने दो साल तक के बच्चे से ठीक से नहीं मिलीं. परिवार से मिलना तो दूर की बात है. यही कहानी महिला स्वास्थ्यकर्मियों की भी रही. मेरठ के प्यारेलाल जिला चिकित्सालय की एसआईसी को भी सम्मानित किया गया. उन्होंने भी कोरोनाकाल में सेवा के अपने अनुभव साझा किए और कहा कि अपने परिवार से इस दौरान नहीं मिल पाईं. लेकिन उन्हें इसका कतई अफसोस नहीं है.
कुछ ऐसी ही प्रेरणादायी कहानी पुलिसकर्मियों की भी रही है. ट्रैफिक पुलिस में तैनात एक महिला सिपाही का कहना था कि इस दौरान चौराहे पर खड़े रहकर उन्होंने ड्यूटी को अंजाम दिया. लोगों को समझाया कि मास्क जरूर लगाएं. सेनिटाइजर का प्रयोग करें और जितना हो सके हाथों को साबुन से बार-बार धोएं. वो खुद भी इन चीजों को फॉलो करते हुए कोरोना के खिलाफ जंग लड़ीं.
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