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उन्होंने यह भी दावा किया, ”आमजन में आक्रोश है, बिजली, पानी, सड़क, कानून व्यवस्था, किसान कर्जमाफी, अपराध सहित विभिन्न मुद्दों पर सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है. ” उन्होंने कहा कि दो साल में गहलोत सरकार द्वारा शहरी निकायों में पक्षपातपूर्ण रवैये ने विकास कार्यों को अवरूद्ध किया गया जिस पर यह ”ब्लैक पेपर” सवाल खड़े करता है.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में तीन महीने के बिजली माफी की मांग जनता उठा रही है लेकिन मुख्यमंत्री आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं. इस बीच भाजपा के अनेक नेताओं ने गहलोत के उन आरोपों पर पलटवार किया किया है कि ”भाजपा उनकी सरकार गिराने का गेम फिर शुरू करने वाली है.”
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केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि कांग्रेस अपनी सरकार की विफलता का ठीकरा भाजपा पर फोड़ रही है. शेखावत ने इसको लेकर ट्वीट किया, ”विफल नेतृत्व के बोझ तले दबी कांग्रेस, राजस्थान में अपनी सरकार की असफलता का ठीकरा फिर से भाजपा पर फोड़ रही है. गहलोत जी, आपके वक्तव्य आंतरिक संघर्ष और गुटबाजी से जूझ रही आपकी ही पार्टी की हालत बता रहें हैं. कृपया अपने संगठन पर ध्यान दीजिए!”
वहीं पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने भी गहलोत के आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि राज्य सरकार पहले दिन से ही अस्थिर है. देवनानी ने एक बयान में कहा,”राज्य सरकार पहले दिन से ही अस्थिर है. यह प्रारंभ से ही प्रलोभन, झूठे आश्वासनों व सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग की कमजोर शिला पर टिकी है.”
देवनानी के अनुसार,” कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह पर नियंत्रण कर पाने में विफल गहलोत बार-बार पूरे झूठे आरोप भाजपा पर मढ़ रहे हैं.”
अशोक गहलोत सरकार के साथ सिर्फ 88 विधायक : सतीश पूनिया
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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