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करणी सेना ने आरोप लगाया कि बिहार पुलिस की कार्रवाई से महाराष्ट्र के साथ ही पुलिस की छवि पर भी असर पड़ा है. ऐसे में इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज की जानी चाहिए.
बता दें कि मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बिहार पुलिस की कार्रवाई और सीबीआई जांच की बिहार सरकार की अपील के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. सिंघवी ने कहा कि मान लीजिए कल कोई मुम्बई में हिट एंड रन का केस हो जाए और पीड़ित के साथ ही आरोपी ये कहने लगें कि हमें मुम्बई पुलिस पसंद नहीं है. जांच केरल या कोई अन्य राज्य की पुलिस करे, तब क्या होगा.
सिंघवी ने कहा कि मामले की जांच के लिए महाराष्ट्र बिहार पुलिस का अधिकार क्षेत्र नहीं है. अब यह ट्रांसफर का मामला नहीं है. इसमें अब सीबीआई जांच की बात है. हमारी स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीलबंद कवर में दाखिल की गई है. बिहार ने अपने हलफ़नामे में कहा कि सुशांत सिंह राजपूत बिहार से ताल्लुक रखते हैं. सिंघवी ने कहा कि घटना जहां पर हुई है उस राज्य की सहमति सीबीआई जांच के लिए जरूरी है. अपवाद यह है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट अपनी ओर से भी सीबीआई जांच का आदेश दे सकते हैं, लेकिन ऐसा बेहद रेयर केस में होना चाहिए.
बिहार के पांच पुलिसकर्मियों पर मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज.
वहीं इस मामले में बिहार के वकील मनिदर सिंह ने दलील दी कि मुंबई पुलिस ने इस मामले में कोई एफआईआर नही दर्ज की. बिहार ने कहा कि राज्य पुलिस इस मामले तब आगे आई जब लंबे समय तक मुंबई पुलिस ने कोई एफआईआर नहीं दर्ज की. आखिर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कि गई? दरअसल यह मामले को रफा दफा करने के लिए किया गया. जबकि एफआईआर पोस्टमार्टम से पहले की जानी चाहिए थी.
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