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मेरठ की सड़कों पर लगा जाम, कैसे थमेगी कोरोना की रफ्तार
कोरोना वायरस (Coronavirus) की बढ़ती रफ़्तार के बीच सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) को दरकिनार कर मेरठ के घंटाघर पर तो मानों गाड़ियों का मेला लग गया हो. यहां इस कदर जाम था कि एक एम्बुलेंस (Ambulance) भी फंस गई जिसे काफी मशक्कत के बाद निकाला जा सका.
सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक बना दिया लोगों ने
शहर में लॉकडाउन के दौरान शनिवार और रविवार को जहां हर चौराहे पर पुलिस तैनात थी. कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के निकलता दिखाई दिया. कहीं उसे उठक-बैठक लगानी पड़ी तो कहीं जुर्माना भरना पड़ा. लेकिन दो दिन के लॉकडाउन के बाद सोमवार की सुबह जैसे ही लॉकडाउन हटा तो मानों सारा कोरोना वायरस कहीं भाग गया हो. लोग बेफिक्र होकर बेवजह ही घर से बाहर निकल पड़े. किसी ने मास्क लगाया तो कोई बिना मास्क के ही बाज़ार की रौनक का हाल लेने निकल पड़ा, और तो और सोशल डिस्टेंसिंग तो मानों सिर्फ आदेशों में रह गया हो. या फिर अफसरों की फाइलों में रह गया हो. इस शब्द का तो लोगों ने मज़ाक ही बना दिया.
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क्या कहते हैं एसपी ट्रैफिक
लॉकडाउन के बाद सड़कों पर उमड़ रही भीड़ और कोरोनाकाल में इस कदर जाम के बारे में जब information 18 संवाददाता ने एसपी ट्रैफिक जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव से सवाल किया तो उनका कहना था कि सवाल बिलकुल वाजिब है, लेकिन जब अनलॉक होता है तो सारे संस्थान खुलते हैं. दुकानें खुलती हैं और ट्रैफिक को रेगुलेट करना सबसे बड़ा चैलेंज है. उन्होंने कहा कि अनलॉक में ट्रैफिक की टीम सुबह सात बजे से ही ड्यूटी देती हैं. मेरठ की ट्रैफिक समस्या को लेकर एसपी श्रीवास्तव तीन समाधान बताते नज़र आए. पहला कि पब्लिक अवेयर हो. ट्रैफिक के प्वाइंट्स की संख्या बढ़ाई जाए और पीक आवर में पुलिस का और ज्यादा एक्टिव होना. एसपी सिटी का जवाब अपनी जगह बिलकुल सही है लेकिन ट्रैफिक की ग्राउंड रिएलिटी बेहद ही चिंताजनक है.
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