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लखनऊ (Lucknow) के हरीचंद इंटर कॉलेज में रसायन शास्त्र के प्रवक्ता रामनिवास से शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक प्रमाण पत्र जांच के लिए मांगे. जवाब में रामनिवास ने शिक्षा विभाग को चिट्ठी लिखकर मांग की…
पीएम और सीएम के अभिलेखों की हो जांच
मामला लखनऊ के हरीचंद इंटर कॉलेज से जुड़ा हुआ है. यहां रसायन शास्त्र में प्रवक्ता रामनिवास से शिक्षा विभाग ने उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र जांच के लिए मांगे थे. जवाब में रामनिवास ने शिक्षा विभाग को चिट्ठी लिखकर यह कहा कि उनके अभिलेखों की जांच से पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अभिलेखों की मांग की जाए और उनकी जांच की जाए. रामनिवास यहीं नहीं रुके. उन्होंने यह भी कहा कि जब तक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की अंक तालिकाओं की जांच नहीं हो जाती, तब तक वे अपने दस्तावेज जांच के लिए नहीं सौंपेंगे.
स्कूल के प्रबंधक से जवाब तलबलखनऊ के सदर इलाके के हरीचंद इंटर कॉलेज के प्रवक्ता के इस कदम को शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है. लखनऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक मुकेश सिंह ने कहा कि उन्होंने स्कूल के प्रबंधक को पत्र लिखकर इस बारे में जवाब मांगा है. वहीं न्यूज़ 18 ने स्कूल के प्रिंसिपल अरविंद से इस मसले पर विस्तार से बातचीत की. अरविंद ने बताया कि रामनिवास 2002 से इंटर कॉलेज में प्रवक्ता रसायन शास्त्र के पद पर तैनात हैं. इस बारे में उनसे चिट्ठी लिखकर जवाब तलब किया गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि वे जल्द से जल्द अपने डॉक्यूमेंट विभाग को सौंपें. प्रिंसिपल अरविंद ने बताया कि रामनिवास की सोच अजीबोगरीब पहले से ही रही है.
शिक्षक बोला- …इसलिए लिखी चिट्ठी
इस मसले पर सबसे खास बात तो यह रही कि ऐसा पत्र लिखने वाले प्रवक्ता रामनिवास में खुलकर और विस्तार से न्यूज़ 18 से बातचीत की. उन्होंने कहा कि ज्वाइिनंग के बाद से पिछले 18 सालों में कई मर्तबा उनके प्रमाण पत्रों की जांच हो चुकी है. प्रमाण पत्रों की जांच के बाद ही उन्हें नियुक्ति मिली थी और इसमें लेटलतीफी के कारण शुरुआत में 13 महीने तक ने वेतन भी नहीं मिल पाया था. रामनिवास ने कहा कि बार-बार प्रमाण पत्रों की जांच कराए जाने से उनके अंदर भी खीझ भरी. इसीलिए उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के प्रमाणपत्रों की जांच के लिए चिट्ठी लिखी.
मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक का पत्र
विद्यालयों में छात्रों की पढ़ाई पर किसी का ध्यान नहीं
उन्होंने कहा कि विद्यालयों में छात्रों की पढ़ाई पर किसी का ध्यान नहीं है. उन्होंने अपने कॉलेज में चंदा लगाकर छत का निर्माण करवाया, जिसके नीचे बच्चे पढ़ सकें. रामनिवास ने यह भी बताया कि उनका चयन लोक सेवा आयोग से 2001 में हो गया था लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही थी. जब उन्होंने एससी एसटी आयोग में इस बात की शिकायत की तब जाकर उन्हें नियुक्ति दी गई. नियुक्ति देने के बाद वेतन भी रोक दिया गया. प्रवक्ता राम निवास के आरोपों पर न्यूज़ 18 ने कॉलेज के प्रिंसिपल से उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन दोबारा उनसे फ़ोन पर बात नहीं हो पाई. बात होने पर उनकी की भी प्रतिक्रिया पब्लिश की जाएगी.
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