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बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) में हो रहे इस नए प्रयोग में लगी इस टीम ने बच्चों को ऑडियो-विजुअल के जरिए पढ़ाने के लिए मिशन प्रेरणा के तहत ‘आधारशिला’ ‘शिक्षण संग्रह’ और ‘ध्यानाकर्षण’ नामक तीन मॉड्यूल (Module) पर आधारित किताब तैयार की गई है.
बेसिक शिक्षा विभाग में हो रहे इस नए प्रयोग में लगी इस टीम ने बच्चों को ऑडियो-विजुअल के जरिए पढ़ाने के लिए मिशन प्रेरणा के तहत ‘आधारशिला’ ‘शिक्षण संग्रह’ और ‘ध्यानाकर्षण’ नामक तीन मॉड्यूल पर आधारित किताब तैयार की गई है. इस किताब का मुख्य उद्देश्य मिशन प्रेरणा के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षित करना भी है जिसे प्रेरणा एप पर अपलोड किया जाएगा. इन हस्तपुस्तिकाओं की खास बात यह है कि यह बोलती भी हैं यानी कि वॉइस ओवर के साथ इनके वीडियो बनाए जाएंगे और पाठ्य सामग्री में यह वीडियो अपलोड भी किए जाएंगे. हर विषय के आखिर में क्यूआर कोड दिया जाएगा, जिसे स्कैन करके बच्चे पाठ के वीडियो देखकर उसे और अच्छे से समझ सकेंगे.
बनाई गई 11 अध्यपकों की टीम
वीडियो को विकसित करने, स्क्रिप्ट का लेखन, वीडियो निर्माण, वॉइस ओवर, कंपोजिंग से जुड़े कार्यों को अंजाम देने के लिए प्रदेश स्तर पर जो 11 अध्यापकों की टीम बनाई गई है. इसमें बाराबंकी से विकासखंड बंकी के प्राथमिक विद्यालय बनवा की सहायक अध्यापिका अजिता श्रीवास्तव के अलावा लखनऊ के एसके सोनी (सेनानिवृत्त उप शिक्षा निदेशक) और डॉ. अवनीश यादव (उप प्रधानाचार्य जीआईसी, बरेली), गोरखपुर के जेपी ओझा (सहायक अध्यापक डायट गोरखपुर), फिरोजाबाद के अनुज लहरी, रामपुर के सुरेंद्र पाल सिंह यादव, गोरखपुर के प्रवीण कुमार मिश्रा व प्रतीक्षा ओझा, बहराइच से आंचल श्रीवास्तव, वाराणसी की छवि अग्रनाल और जौनपुर की शिप्रा सिंह शामिल हैं.ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश के ईमानदार टैक्सपेयर्स होंगे सम्मानित, CM शिवराज फिर शुरू करेंगे भामाशाह योजना
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बाराबंकी की शिक्षिका अजिता श्रीवास्तव का अहम रोल
11 अध्यापकों की टीम में बेहद अहम रोल निभा रही बाराबंकी की शिक्षिका अजिता श्रीवास्तव ने अपने इस प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए बताया कि कई बच्चे किताबी पढ़ाई के साथ कुछ क्रिएटिव टीचिंग से ज्यादा समझते हैं. उदाहरण के तौर पर उन्हें समझाने के लिए क्लास में एक्ट कराया जाए या वीडियो और फोटो से समझाया जाए, तो हमारी मेहनत का ज्यादा अच्छा परिणाम निकलकर सामने आता है और बच्चों का पढ़ाई के प्रति रुझान भी काफी बढ़ता है. इन हस्तपुस्तिकाओं के पीछे भी मकसद यही है कि बच्चों को रोचक तरीके से खेल-खेल में पढ़ाया जा सके. ये वीडियो बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी लाभप्रद होंगे. वो इनका इस्तमाल अपने पढ़ाने की तकनीक को और बेहतर बनाने के लिए कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि पहले चरण में 100 वीडियो बनाने का लक्षय है जिनमें से 22 वीडियो को तैयार करने के लिए 14 अगस्त तक की समय सीमा दी गई है. 11 सदस्यीय टीम ने तकनीक पर आधारित अब तक के लक्ष्य के मुताबिक लगभग सारे वीडियो कैयार कर लिए हैं. वीडियो बनाने के बाद तीन मॉड्यूल में क्यूआर कोड या लिंक दिया जाएगा जिसे स्कैन करके बच्चे और अध्यापक इन वीडियो को देख सकेंगे.
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