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आइए जानते हैं विकास दुबे एनकाउंटर मामले में बहस के दौरान किसने रखी क्या दलीलें:-
>> कोर्ट में इस बहस की शुरुआत सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने की. मेहता ने कहा विकास दुबे के साथ मुठभेड़ सही थी. वो पैरोल पर था और उस दिन हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था. उन्होंने कोर्ट को बताया कि दुबे ने शहीद हुए पुलिसवालों की बॉडी को जलाने की भी कोशिश की थी.
>>इस पर सीजेआई बोबडे ने कहा कि आपने जवाब में तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और विकास दुबे एनकाउंटर में अंतर बताया है, लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे. सीजेआई ने कहा कि ये बिल्कुल साफ है कि तेलंगाना वाले मामले में आरोपी बिना हथियार के थे.>>इस मामले में जानेमाने वकील हरीष साल्वे ने यूपी डीजीपी का पक्ष रखा. साल्वे ने कहा कि यह मामला तेलंगाना के हैदराबाद मुठभेड़ से कई मामलों में अलग है. यहां तक कि पुलिसकर्मियों को भी मौलिक अधिकार है. क्या पुलिस पर अत्यधिक बल के आरोप लगाया जा सकता है, जब वह एक खूंखार अपराधी के साथ लाइव मुठभेड़ में लगी हो?
विकास दुबे एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार पर उठाए सवाल, इतने मामलों के आरोपी को कैसे मिली जमानत
>>हरीश साल्वे की दलील पर सीजीआई ने कहा, ‘हैदराबाद मुठभेड़ और विकास दुबे मुठभेड़ केस में एक बड़ा अंतर है. वे एक महिला के बलात्कारी और हत्यारे थे. ये विकास दुबे उन पुलिस वालों के सहयोगी पुलिसकर्मियों का हत्यारा था.’
>>सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी भी जताई कि विकास दुबे पर इतने मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे जमानत क्यों दी गई. सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि हमको मत बताइए कि विकास दुबे क्या था? कोर्ट ने यूपी सरकार से रिकॉर्ड तलब किया. अदालत ने कहा कि विकास दुबे पर गंभीर अपराध के कई मुकदमे दर्ज होने के बाद भी वह जेल से बाहर था. ये पूरे सिस्टम का फेल्योर है.
>>CJI ने यूपी सरकार के वकील से कहा कि सीएम, डिप्टी सीएम द्वारा दिए गए बयानों पर भी गौर जाए. अगर उन्होंने कुछ बयान दिए हैं और फिर कुछ हुआ है, तो इस पर गौर करना चाहिए.
>>कोर्ट ने यूपी सरकार को भी नसीहत देते हुए कहा, ‘एक राज्य तौर पर आपको कानून के शासन को बनाए रखना होगा. ऐसा करना आपका कर्तव्य है.’ अब यूपी सरकार मंगलवार को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन दाखिल करेगी. इसके बाद अदालत आदेश जारी करेगी.
बता दें कि 10 जुलाई को eight पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था. पेशी के लिए उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान हुए इस एनकाउंटर पर कई सवाल उठे थे. इस बीच दो वकीलों ने पुलिसिया एनकाउंटर की सीबीआई और एनआईए से जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल की थी. जिसपर सुनवाई हुई.
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