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संजीव के मुताबिक पीएम मोदी (PM Modi) की नसीहत व अपील ने उसका नजरिया पूरी तरह बदल दिया. अब वह शान से अपने ऑटो पर सवारियों को फर्राटे भराता है.
सवारियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए उसने अपने ऑटो को पांच हिस्सों में बांट दिया है, वह भी लोकल ही वोकल है के स्लोगन पर अमल करते हुए पूरी तरह देसी टेक्नीक से. एक हिस्से में वह खुद बैठता है, जबकि बाकी चार हिस्सों में एक- एक सवारियों को बैठाता है. उसके ऑटो में बिना मास्क के किसी को भी बैठने की इजाजत नहीं है.
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सवारियों को बिठाने से पहले और उतरने के बाद वह पूरे ऑटो को सेनेटाइज करता है तो साथ ही बैठने और उतरने दोनों पर ही सवारियों के हाथ के साथ ही उनके मोबाइल और पर्स को भी सेनेटाइज कराता है. ऑटो में उसने जागरूकता वाले कई स्टीकर लगा रखे हैं तो ऑटो में लगे साउंड सिस्टम के जरिये सवारियों को कोरोना के जागरूकता वाले संदेश सुनाता रहता है.
ऑटो को पांच हिस्सों में बांटा
जागरूकता संदेशों के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी के भाषणों- नसीहतों और अपीलों को भी सुनाकर सवारियों की हौसला अफजाई भी करता है. ऑटो चलाते वक्त वह सवारियों को कोरोना से डरने के बजाय उससे लड़ने के लिए प्रेरित करने और एहतियात बरतकर बचाव करने के लिए भी कहता है. परिवार का पेट पालने के लिए ऑटो चलाना उसकी मजबूरी है तो सवारियों की हौसला अफजाई कर उन्हें जागरूक करना वह अपना फर्ज समझता है.
आत्मनिर्भर बनने का फैसला
संजीव कुमार सिंह नाम का यह अनूठा ऑटो ड्राइवर संगम नगरी प्रयागराज के बैरहना इलाके में परिवार के साथ रहता है. महामारी फैलने और लॉकडाउन लगने के बाद न तो वह बाहर निकलकर पैसे कमाने की हिम्मत जुटा पाया और न ही कोई शख्स ऑटो की सवारी करने को तैयार था. परिवार का पेट पालने में भी दिक्कत होने लगी तो उसने पीएम नरेंद्र मोदी की नसीहतों पर अमल करते हुए पूरी तैयारी के साथ बाहर निकलकर अपना ऑटो चलाने व आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया तो साथ ही कोरोना से डरने के बजाय उससे लड़ने का संकल्प लिया. संजीव खुद पूरे एहतियात के साथ बाहर निकलता था.
पीएम मोदी की नसीहत
संजीव के मुताबिक पीएम मोदी की नसीहत व अपील ने उसका नजरिया पूरी तरह बदल दिया. अब वह शान से अपने ऑटो पर सवारियों को फर्राटे भराता है, तो वहीं दूसरी तरफ ऑटो पर सवारियों की संख्या एक तिहाई होने के बावजूद किसी से ज़्यादा पैसों की डिमांड भी नहीं करता. संजीव के ऑटो में बैठने वाली सवारियां भी उसके इस काम की जमकर तारीफ करती हैं. सवारियों का कहना है कि संजीव के ऑटो पर बैठने के बाद उन्हें डर नहीं लगता और उन्हें काफी कुछ जानने व सीखने को मिलता है.
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