[ad_1]
महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) का कहना है कि बिहार पुलिस (Bihar Police) को जांच का अधिकार नहीं है. महाराष्ट्र सरकार का ये भी कहना है कि वह जांच के लिए बिहार पुलिस को सुशांत सिंह राजपूत केस (Sushant Singh Rajput Case) से जुड़े दस्तावेज नहीं सौंपेगी.
महाराष्ट्र सरकार को कानूनी जानकारों ने जो कानूनी राय दी है उसके अनुसार ये केस बिहार पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. सीआरपीसी 12-13 के अनुसार क्राइम जिस अधिकार क्षेत्र में आता है वही की पुलिस जांच कर सकती है. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इस पूरे मामले में पटना पुलिस के पास कोई भी शिकायत आई है तो उन्हे इसको लेकर CR-00 के तहत एफआईआर रजिस्टर कर के मुंबई पुलिस को देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए महाराष्ट्र सरकार अपनी भूमिका पर कायम है, और बिहार पुलिस पुलिस को किसी भी तरीके का जांच में डाक्यूमेंट नहीं देगी.
मुंबई पुलिस प्रमुख ने कहा सही दिशा में चल रही जांच
इससे पहले मुंबई पुलिस के प्रमुख परमबीर सिंह ने सोमवार को कहा कि बिहार की पुलिस टीम के साथ सहयोग नहीं करने का सवाल ही नहीं है. बिहार पुलिस की एक टीम सुशांत सिंह राजपूत मामले में जांच के लिए महानगर आई हुई है. सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मुंबई पुलिस की जांच सही दिशा में चल रही है और मामले की जांच हर संभावित बिंदु से की जा रही है.ये भी पढ़ें- बिहार के IPS विनय तिवारी के लिए हर आवश्यक सुविधा की व्यवस्था: मुंबई पुलिस
पुलिस आयुक्त ने कहा कि इस तरह की खबरें हैं कि अभिनेता को बाइपोलर बीमारी थी और उनका उपचार चल रहा था तथा वह इसकी दवा ले रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘किन परिस्थितियों में उनकी मौत हुई, यह हमारे लिए जांच का विषय है.’’ मामले में दुर्घटनावश मौत की रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज करने के बाद जांच चल रही है और मुंबई पुलिस ने अभी तक 56 लोगों के बयान दर्ज किए हैं. उन्होंने बताया कि सुशांत की बहन के भी बयान दर्ज किए गए हैं.
सुशांत सिंह राजपूत का शव 14 जून को मुंबई में बांद्रा स्थित उनके आवास में फंदे से लटका हुआ पाया गया था.
सुशांत के पिता ने अपने बेटे की मौत के बाद एक प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसके बाद बिहार पुलिस इस मामले की जांच में शामिल हुई. सुशांत के पिता ने अदाकारा रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों पर अभिनेता को आत्महत्या के लिये उकसाने का आरोप लगाया है.
बिहार के डीजीपी ने रविवार को आरोप लगाया था कि तिवारी को मुंबई में बृहन्मुंबई महानगरपालिका के अधिकारियों ने जबरन पृथक-वास में भेज दिया.
[ad_2]
Source