[ad_1]

भगत की बात पार्टी के 57 विधायकों के लिए सीधी चेतावनी मानी जा रही है कि उन्हें अपनी परफ़ॉर्मेंस को सुधारने पर काम करना शुर कर देना चाहिए.

देहरादून. उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के लिए करीब डेढ़ साल बचा है और सत्तारूरढ़ भाजपा में टिकटों पर विचार शुरु हो गया है. पार्टी नेतृत्व का कहना है कि इस बार ढंग से परफॉर्म न करने वाले कई विधायकों का टिकट कट सकता है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि इस बार उसी विधायक को विधानसभा चुनावों का टिकट मिलेगा जिसका रिपोर्ट कार्ड सही होगा. भगत की बात पार्टी के 57 विधायकों के लिए सीधी चेतावनी मानी जा रही है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव में फिर टिकट चाहिए तो उन्हें अपनी परफ़ॉर्मेंस को सुधारने पर काम करना शुर कर देना चाहिए. इसके लिए उन्हें करीब एक साल का वक्त मिल गया है.

तैयारी शुरु 

भाजपा ने विधानसभा चुनावों को लेकर एक्सरसाइज शुरू कर दी है. भाजपा की चुनाव की तैयारियों में सबसे महत्वपूर्ण मौजूदा विधायकों का रिपोर्ट कार्ड है. अगर विधायकों का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं हुआ तो विधायकों को 2022 विधानसभा चुनाव का टिकट मिलना मुश्किल हो जाएगा.

2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी ने सांसदों के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर टिकट दिया था. इसी तरह 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कई विधायकों के टिकट काट दिए थे और नए प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था. पिछले चुनावों में प्रचंड बहुमत पाने वाली पार्टी नहीं चाहती कि वह उत्तराखंड की सत्ता से दूर हो जाए इसलिए 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए अभी से ही तैयारियों में जुट गई है. इसलिए बीजेपी अपने स्तर विधायकों के कामकाज का फीडबैक समय-समय पर लेती रहती है ताकि विधानसभा चुनावों के समय टिकट बंटवारे के समय उसके पास मूलभूत जानकारी रहे.पहले अलर्ट किया जाएगा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का कहना है कि चुनावों से 6 महीने पहले भाजपा सभी विधायकों के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगी और उसी के आधार पर विधायकों की परफॉर्मेंस देखी जाएगी. अगर किसी विधायक की परफॉर्मेंस ठीक नहीं होती है तो उसे अलर्ट किया जाएगा ताकि वह इसे सुधार सके.

भगत का कहना है कि मगर उसके बाद भी रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं होता तो पार्टी हाईकमान देखेगा कि आगे क्या करना है. भगत कहते हैं विधानसभा चुनावों के टिकट का फैसला पार्टी हाईकमान करता है लेकिन रिपोर्ट कार्ड भी महत्वपूर्ण माना जाता है.

जिताऊ प्रत्याशी ही उतारे जाएं 

2017 में 57 सीटें जिताने वाला माहौल 2022 में नहीं रहने वाला है. एंटी इनकमबेंसी भी बीजेपी की सत्ता में वापसी में चुनौती हो सकती है. संभव है कि इससे बचने के लिए बीजेपी नए चेहरों को टिकट दे.

बीजेपी विधायक विनोद चमोली भी मानते हैं कि चुनाव जीतना है तो जिताऊ प्रत्याशी मैदान में उतारने चाहिएं. वह इस बात पर भी सहमति जताते हैं कि जीतने के लिए हो सकता है कि पार्टी नए चेहरे मैदान में उतारे. चमोली कहते हैं कि हर राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी उतारता है और हर राजनीतिक दल चाहता है कि उसके पास जिताऊ प्रत्याशी हो.



[ad_2]

Source