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उत्तराखंड में अफसरों की लापरवाही का हफ्तेभर में दूसरा मामला. पहले डीएम ने BJP विधायक की याददाश्त पर उठाया था सवाल, अब कुंभ को लेकर होने वाली बैठक के लिए मंत्री मदन कौशिक के बुलावे पर नहीं पहुंचे कई विभागों के सचिव.
भड़के और खुद ही माने मदन कौशिक
बुधवार को शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कुंभ की तैयारियों को देखते हुए सचिवालय में बैठक बुलाई थी. दोपहर 12.30 बजे से मीटिंग होनी थी, लेकिन कुछ सचिव पहुंचे ही नहीं. इस पर मदन कौशिक ने फोन पर मुख्य सचिव से शिकायत की और कहा कि ऊर्जा, पेयजल, सिंचाई जैसे विभागों के सचिव नहीं आएंगे तो काम होगा कैसे?
उन्होंने सचिव शहरी विकास को भी फटकार लगाई कि अगर एक हफ्ते पहले मीटिंग की बात कहने के बाद भी यह हाल रहेगा तो वह मीटिंग करेंगे कैसे. इसके बाद 2 मिनट के भीतर मदन कौशिक मीटिंग से उठ गए. उन्होंने कहा कि ऐसी हालत में मीटिंग नहीं हो सकती. हालांकि जब मीडिया ने सवाल पूछा तो वह खुद ही बैकफुट पर आ गए और कहने लगे कि अफसरों को सूचना नहीं मिली थी.
स्पीकर तक हुए हैं नाराज
सचिव स्तर के अधिकारियों की मनमानी का ड्रामा हुआ तो कांग्रेस को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अफसरों पर मुख्य सचिव के आदेश और मुख्यमंत्री के सख्त रवैये का भी असर नहीं हो रहा है. साफ है कि इस सरकार में अफ़सर किसी की सुनने को राजी नहीं हैं.
उत्तराखंड में अफसरों की मनमानी कोई नई बात नहीं है. इससे पहले गैरसैण विकास परिषद की बैठक में कई सचिव स्तर के अफ़सरों के न आने से विधानसभा स्पीकर नाराज़ हो गए थे. परिवहन मंत्री यशपाल आर्य की बैठक में तत्कालीन परिवहन सचिव सैंथिल पांडियन देरी से पहुंचे थे जिससे परिवहन मंत्री का पारा चढ़ गया था.
विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव
बीते दिनों ऊधमसिंह नगर में किच्छा के बीजेपी विधायक राजेश शुक्ला को मौजूदा ज़िलाधिकारी ने प्रभारी मंत्री मदन कौशिक के सामने ही कह दिया कि उनकी याददाश्त ठीक नहीं है. डीएम के रवैये से नाराज विधायक ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की बात कही है. और अब नया मामला मंत्री मदन कौशिक की नाराज़गी का है, लेकिन क्या इससे अफ़सरशाही को कोई फ़र्क पड़ेगा.
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