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यही नहीं बरिंदरजीत सिंह ने खुद का ट्रांसफर बेवजह करने का भी आरोप लगाया है. सूत्रों के मुताबिक, बरिंदरजीत सिंह ने एसएसपी नैनीताल और डीएम नैनीताल को अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस की मांग की है. बरिंदर ने एसएसपी नैनीताल को लिखे अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने एसएसपी रहते अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की हुई है. इसलिए उन्हें उन अपराधियों से जान का खतरा है. हालांकि आधिकारिक रूप से इस चिठ्ठी की पुष्टि नहीं हो पाई है क्योंकि अधिकतर अधिकारी मामले के कोर्ट में विचाराधीन होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.
किसी की बात न सुनना बना ट्रांसफर का आधार
भले ही एसएसपी के तौर पर बरिंदरजीत सिंह की विदाई 15 दिन पहले हुई हो लेकिन उनके ट्रांसफर के कयास कई दिनों पहले से ही लग रहे थे. ट्रांसफर के पीछे वजह बताई जा रही थी उनका ब्यूरोक्रेसी और राजनेताओं के बीच सांमजस्य का अभाव. एसएसपी रहते हुए बरिंदरजीत सिंह ने न तो स्थानीय राजनेताओं की बात को तरजीह दी और न ही मंडल और पुलिस मुख्यालय में तैनात अपने अधिकारियों की. यही वजह है कि वो सभी की आंखों की किरकिरी बन गए. बरिंदरजीत सिंह पर आरोप लगा कि वो कुमाऊं के डीआईजी जगतराम जोशी के किसी भी निर्देश का पालन उन्होंने नहींं किया.लॉकडाउन के दौरान हुई खराब पुलिसिंग की शिकायत
मार्च, अप्रैल और मई के महीने में लॉकडाउन के दौरान ऊधम सिंह नगर के एसएसपी के तौर पर बरिंदरजीत सिंह की खराब पुलिसिंग के कई नमूने देखने को मिले. इंटर डिस्ट्रिक्ट और इंटर स्टेट बॉर्डर पर चैकिंग के दौरान पुलिस ने जरूरत से ज्यादा सख्ती दिखाई जिसके कारण कई मरीज घंटों जाम में फंसे रहे. यहां तक कि कई लोग अपने परिजनों की डेड बॉडी लेकर भी जाम में फंसे रहे. कई मामलों में तो डीआईजी और पीएचक्यू तक को दखल देना पड़ा. उसके बाद पुलिस ने मरीजों को ले जाने की अनुमति दी.
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राजनेताओं से रही अनबन
एसएसपी के तौर पर बरिंदरजीत सिंह की विदाई की सबसे बड़ी वजह स्थानीय राजनेताओं से उनकी अनबन रही. एसएसपी ने लॉकडाउन के दौरान बीजेपी के किसी राजनेता और उनके ऐसे रिश्तेदार को नहीं छोड़ा जिन्होंने लॉकडाउन उल्लंघन किया हो. उनके एसएसपी रहते किच्छा विधायक राजेश शुक्ला के भतीजे के खिलाफ केस हुआ. साथ ही रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकरा, उनके भाई, पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता तिलकराज बेहड़ के खिलाफ भी केस दर्ज हुए. यही नहीं कई बड़े व्यापारियों के खिलाफ भी अलग-अलग मामलों में एफआईआर भी लिखी गई.
विधायक राजकुमार ठुकराल को बिना सूचित किए हुए ही एसएसपी ने उनके दो गनर हटा लिए जिसके बाद ठुकराल ने इसकी शिकायत सीएम से की. ठुकराल इस मसले को आगामी विधानसभा सत्र में भी उठाने की बात कर रहे हैं. बीजेपी के जिलाध्यक्ष शिव अरोड़ा को ट्रांसफर के एक दिन पहले एसएसपी ने अपने कार्यालय में जमकर लताड़ लगाई. सूत्रों के मुताबिक, एसएसपी ने शिव अरोड़ा को राजनीति करने के लिए उनके दफ्तर न आने की नसीहत तक दे डाली थी. मामला इतना बढ़ा कि कुछ लोगों के साथ एक मामले की शिकायत लेकर पहुंचे शिव अरोड़ा ने किसी तरह अपनी इज्जत बचाई और बाद में उन्होंने सीएम से इसकी शिकायत की. इसके बाद एसएसपी को हटाने का फैसला लेना पड़ा.
बरिंदर के हाईकोर्ट जाने से उठे सवाल
आईपीएस अफसर के अपने ट्रांसफर के खिलाफ हाईकोर्ट जाने पर सियायत भी गर्म है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत तो साफ कह रहे हैं कि जनप्रतिनिधियों की बातें न सुनना ऊधम सिंह नगर के डीएम और एसएसपी दोनों पर भारी पड़ा, इसलिए दोनों को हटाया गया. वहीं नेता प्रतिपक्ष ने आईपीएस अधिकारी के कोर्ट जाने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और गलत परंपरा करार दिया है.
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