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RTI खुलासे में सामने आया हैरान करने वाला तथ्य, COVID-19 से जंग के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष (CM Relief Fund) में विपक्ष के सभी विधायकों ने पिछले three महीनों अपना अंशदान दिया, लेकिन बीजेपी (BJP) के विधायक फिसड्डी साबित हुए.
दरअसल, COVID-19 से लड़ने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारों ने विधायकों और सांसदों से सैलरी का 30 फीसदी मुख्यमंत्री राहत कोष और केंद्र में प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करने की अपील की गई थी. विधायक और सांसद निधि से भी कुछ हिस्सा इस फंड में दिया जाना था. उत्तराखंड सरकार ने भी इसी क्रम में विधायकों के 1 साल के वेतन में से 30% सैलरी का हिस्सा मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का निर्णय लिया था.
इस मुद्दे पर भी खूब हुई सियासत
उत्तराखंड सरकार के निर्णय को लेकर प्रदेश में सियासत खूब हुई थी. कांग्रेस का आरोप था कि सरकार ने सिर्फ सत्ता पक्ष के विधायकों से इस महत्वपूर्ण मामले में चर्चा की, विपक्ष से बात तक नहीं की गई. हालांकि बाद में विपक्ष के विधायकों ने भी मुख्यमंत्री राहत कोष में सैलरी का 30 फीसदी जमा करने पर हामी भर दी थी. मगर इस संबंध में जब RTI आवेदन देकर यह पूछा गया कि कितने विधायकों ने अब तक अपनी सैलरी का 30 फीसदी हिस्सा इस मद में दिया है, तो सरकार की ओर से जवाब मिला वह चौंकाने वाला था. आरटीआई में खुलासा हुआ है कि बीजेपी विधायक ही इस मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं.विपक्ष के सभी 11 विधायकों ने दिया हिस्सा
RTI से यह भी खुलासा हुआ है कि COVID-19 फंड में 30 फीसदी राशि जमा करवाने में सत्ता पक्ष के ही ज्यादातर विधायक फिसड्डी साबित रहे हैं, वहीं विपक्ष के सभी 11 विधायकों ने अपना सैलरी का हिस्सा मुख्यमंत्री राहत कोष में लगातार तीन महीने जमा करवाया है. वहीं बीजेपी के सिर्फ 13 विधायकों ने ही ₹57600 जमा कराए हैं. यही नहीं 16 विधायकों ने ₹30000, 13 विधायकों ने ₹9000 और 4 विधायकों ने मात्र ₹12600 जमा करवाए हैं.
कांग्रेस ने उठाया सवाल
कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने मात्र ₹9000 मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाए हैं. कांग्रेस के केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि आरटीआई में जो जानकारी आई है, उससे साबित होता है कि बीजेपी के विधायक कैबिनेट के निर्णय को कितना महत्व देते हैं. उन्होंने कहा कि आरटीआई के खुलासे से यह भी पता चल गया कि भाजपा की करनी और कथनी में साफ अंतर है.
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