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लावारिस शवों की अंत्येष्टि के पीछे की कहानी कुछ यूं है. शरीफ (Shareef) का एक बेटा मेडिकल सर्विस से जुड़ा था. एक बार वह सुल्तानपुर गया था, जहां उसकी हत्या करके शव को कहीं फेंक दिया गया था.
चंपत राय ने बताया कि मंगलवार शाम तक सभी आमंत्रित यहां पहुंच जाएंगे. आरएसएस चीफ मोहन भागवत और सुरेश भैयाजी जोशी भी कल पहुंचेंगे. राय ने कहा कि भूमि पूजन के दिन पीएम मोदी रामलला पर डाक टिकट भी जारी करेंगे. इसके अलावा राम जन्मभूमि में पौधरोपण भी करेंगे.
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बता दें कि पिछले 27 सालों से हिंदू-मुस्लिम, सिख हो या इसाई किसी भी लावारिस लाश को फेंकने नहीं दिया. शरीफ के लिए हिंदू हो तो सरयू घाट पर अंतिम संस्कार और मुस्लिम हो तो कब्रिस्तान में दफन करना रोजमर्रा का काम बन गया था. शरीफ अब तक लगभग 3000 हिन्दू और 2500 मुस्लिम लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं.
We have additionally invited Iqbal Ansari (former litigant in Ayodhya land dispute case) and Padma Shri, Mohammed Sharif to the muse stone laying ceremony: Champat Rai, normal secretary of Sri Ramjanmbhoomi Teerth Kshetra belief. #RamTemple pic.twitter.com/wnSzP6DuI0
— ANI UP (@ANINewsUP) August 3, 2020
बेटे की हत्या ने लिया प्रण
लावारिस शवों की अंत्येष्टि के पीछे की कहानी कुछ यूं है. शरीफ का एक बेटा मेडिकल सर्विस से जुड़ा था. एक बार वह सुल्तानपुर गया था, जहां उसकी हत्या करके शव को कहीं फेंक दिया गया था. परिजन ने उसे बहुत खोजा, पर लाश नहीं मिली. उसी के बाद शरीफ ने लावारिस शवों को ढूंढ़-ढूंढ़ कर उसका अंतिम संस्कार करने का प्रण लिया था. बता दें कि आम लोगों के बीच वह ‘शरीफ चाचा’ के नाम से मशहूर हैं. वह कहते हैं, ‘जब तक मुझ में जान है, वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते रहेंगे. इस सेवा से मुझे सुकून मिलता है. मैं 27 वर्षों से इस सेवा में जुटा हूं.’
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