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तकनीकी रूप से किस राज्य की पुलिस सही है?
पुलिस महकमे में 40 साल से ज्यादा बिताने के बाद जहां तक मेरी समझ बन सकी है, तकनीकी तौर पर मुंबई पुलिस सही है. चूंकि सुशांत की मौत मुंबई में हुई तो उनके मामले की जांच का अधिकार लोकल मनोपुलिस को ही है. मुंबई पुलिस ही पड़ताल करेगी कि एक्टर की मौत खुदकुशी है या हत्या. सुशांत के पिता किसी कारण से मुंबई पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं होंगे, तो वे बिहार पुलिस से शिकायत कर सकते हैं. यहां तक बिल्कुल ठीक है लेकिन फिर एफआईआर दर्ज करके बिहार पुलिस को मुंबई भेज देना चाहिए था ताकि वे एक्शन ले सकें.
ये भी पढ़ें: क्या है कन्फ्यूशियस संस्थान, जो भारत में चीन का एजेंट बना हुआ हैजैसे आसाराम का ही मामला लें. साल 2013 में उनपर एक नाबालिग लड़की ने यौन शोषण का आरोप लगाया. लड़की और उसके परिवार ने मामला दिल्ली के कमला नगर में दर्ज कराया. घटना जोधपुर में घटी थी. यही वजह है कि दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज करके और लड़की का बयान रिकॉर्ड करके केस जोधपुर के संबंधित थाने में भेज दिया. सारी कार्रवाई वहीं से हुई.
एसबीएस त्यागी रिटायर्ड ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस हैं, सुशांत मामले में पुलिस पर उन्होंने बांटी जानकारी (Photo-facebook)
तब बिहार पुलिस किस अधिकार से मुंबई पहुंची हुई है?
किसी भी जगह की पुलिस को दूसरी जगह जाने से रोका नहीं जा सकता. वे देश के किसी भी नागरिक या पुलिस अधिकारी के तौर पर भी एक से दूसरे राज्य जाने के लिए स्वतंत्र हैं. हालांकि बिहार की पुलिस अगर कोई जांच करना भी चाहे तो उसे वहां लोकल पुलिस का सपोर्ट चाहिए होगा. अगर स्थानीय पुलिस चाहे तो वो किसी तरह की मदद से इनकार भी कर सकती है. ये पूरी तरह से उसपर निर्भर है.
अगर किसी जगह स्थानीय पुलिस की भूमिका संदिग्ध लगे तो क्या किया जा सकता है?
इसका भी हल है. अगर किसी को और खासकर सुशांत के परिवार को ऐसा लगता है कि मुंबई पुलिस किसी को बचा रही है तो वो अपील कर सकते हैं. मामला डीसीपी, पुलिस कमिश्नर, डीजीपी महाराष्ट्र, महाराष्ट्र सरकार और तब हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है. या फिर कोई चाहे तो पीआईएल कर सकता है. यानी जनहित याचिका दायर कर सकता है. ये एक व्यक्ति से लेकर कोई संस्था भी हो सकती है जिसे जांच पर शक हो रहा हो. लेकिन याचिका में पक्की वजह देनी होगी कि वो क्यों जांच से संतुष्ट नहीं. लेकिन तब ज्यादातर केस में मामला मुंबई पुलिस के पास ही रहेगा, जब तक कि खुद सु्प्रीम कोर्ट इसके लिए कोई अलग बात न कह दे.
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मिसाल के तौर पर जयललिता के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्लेस ऑफ ट्रायल तमिलनाडु न होकर कर्नाटक कर दिया गया था.
बिहार की पुलिस अगर कोई जांच करना भी चाहे तो उसे वहां लोकल पुलिस का सपोर्ट चाहिए
आमतौर पर कब पुलिस एक से दूसरे राज्य जाती है?
जब हमारा कोई मुलजिम भागा होता है और उसकी जानकारी मिले कि वो फलां राज्य में छिपा बैठा है तो पुलिस दूसरे राज्य जाती है. ऐसे मामले में दूसरे राज्य की पुलिस को तुरंत सहयोग भी देना होता है. दोनों तरफ की पुलिस मिलकर अपराधी को पकड़ती हैं फिर उसे एक से दूसरे राज्य ले जाने के लिए ट्रांजिट रिमांड देते हैं. इस तरह से प्रक्रिया चलती है.
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क्या सुशांत मामले में कोई दूसरा राज्य भी एफआईआर कर सकता है?
हां, चाहे तो कहीं और भी एफआईआर हो सकती है लेकिन फिर वही बात होगी कि मामला आखिरकार मुंबई पुलिस को ही सौंपा जाएगा. वहां पुलिस सारे पहलुओं को क्लब करके मामले की जांच करेगी. घटना-स्थल (place of prevalence) से संबंधित कोर्ट ही place of trial होगा अगर किसी खास हालात में सुप्रीम कोर्ट इसे न बदल दे.
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मुंबई पुलिस कमिश्नर ने कई अहम खुलासे किए हैं
क्या है मामले पर अपडेट
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की जून में कथित तौर पर आत्महत्या मामले में मुंबई और बिहार पुलिस अपनी-अपनी तरह से जांच में जुटी हुई है. सुशांत सिंह राजपूत केस के करीब डेढ़ महीने बाद उनके पिता केके सिंह ने पटना में एक्टर की गर्लफ्रेंड और बॉलीवुड एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) सहित करीब 6 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई.
सहयोग न मिलने की बात
इसके बाद मुंबई पहुंची बिहार पुलिस ने दबी जबान में माना कि लोकल पुलिस से उसे वैसा सहयोग नहीं मिल रहा. इस तरह की खबरें भी आती रहीं कि एक से दूसरी जगह जाने के लिए बिहार पुलिस के अधिकारी ऑटो में बैठे देखे गए. यहां तक कि जब बिहार की जांच टीम लीड कर रहे पटना पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी मुम्बई पहुंचे तो कोरोना के चलते क्वारंटीन कर दिया गया. खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले पर अपनी नाराजगी जाहिर की है कि IPS के साथ ऐसा सुलूक नहीं होना चाहिए था.
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