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कीड़ा-जड़ी (caterpillar fungus) का एक्सपोर्ट भारत (India) से चीन (China) को होता है. क्योंकि चीन इस कीड़ा-जड़ी के इस्तेमाल की तरकीब जानता है. चीनी मेडिसिन के इतिहास में इसके इस्तेमाल के तरीकों का जिक्र है. चीन, भारत को प्रति किलो कीड़ा-जड़ी के 15 से 20 लाख रुपये देता है.

देहरादून. कीड़ा-जड़ी के व्यवसाय से जुड़े 10 हजार से ज्यादा लोगों पर संकट के बादल हैं. क्योंकि कीड़ा-जड़ी को रेड लिस्ट में शामिल किया गया है. ​इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (International Union for Conservation of Nature) यानी आईयूसीएन ने कीड़ा-जड़ी (caterpillar fungus) यानी यारशागंबू यानी हिमालयन वियाग्रा को अपनी रेड लिस्ट में शामिल किया है. वैसे तो आईयूसीएन ने सबसे पहले साल 2014 में कीड़ा-जड़ी पर खतरा बताया था. लेकिन 9 जुलाई 2020 को जारी रेड लिस्ट में कीड़ा-जड़ी का नाम भी शामिल है.

सरकार लगा सकती है रोक
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने कीड़ा-जड़ी को विलुप्त होती प्रजातियों में शामिल किया है. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पिछले चार सालों में इसकी पैदावार पचास फीसदी तक कम हुई है. जिससे साफ है कि इसकी पैदावार पर संकट है.

ज्यादा इस्तेमाल बना खतरनाकइंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर​ ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि इस जड़ी को जरूरत से ज्यादा निकाला जा रहा है. जिसके कारण इसकी ग्रोथ प्रभावित हो रही है. और यही अत्यधिक दोहन इसे विलुप्त होने के कागार पर ले जा रहा है.

बनती हैं शक्तिवर्धक दवाएं
कीड़ा-जड़ी निकालने का काम उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली और बागेश्वर के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में होता है. जिससे दस हजार से ज्यादा लोगो जुड़े हुए हैं. यह जड़ी दवाओं में पड़ती है. माना जाता है कि चीन इसका इस्तेमाल स्पोर्टस मेडिसिन के लिए करता है.

चीन को एक्सपोर्ट होती है कीड़ा-जड़ी
कीड़ा जड़ी का एक्सपोर्ट भारत से चीन को होता है. क्योंकि चीन इस कीड़ा-जड़ी के इस्तेमाल की तरकीब जानता है. चीनी मेडिसिन के इतिहास में इसके इस्तेमाल के तरीकों का जिक्र है. चीन, भारत को प्रति किलो कीड़ा-जड़ी के 15 से 20 लाख रुपये देता है.

जारी होता है लाइसेंस
कीड़ा-जड़ी का लाइसेंस वन विभाग के डीएफओ की अनुमति से मिलता है. जिसे भी इससे जुड़ा काम करना है वो वन विभाग की अनुमति से ही कर सकता है.



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