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राजनीति में तरह तरह की किंवदंतियां बनती रहती हैं. जैसे सीएम योगी के नोएडा जाने से पहले तक मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए किसी सीएम का नोएडा जाना शुभ नहीं माना जाता था. वैसी ही कुछ चर्चाएं मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद को लेकर भी तैर रही हैं.
चर्चाओं के पीछे ये है वजह
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे रामप्रकाश गुप्ता को 7 मई 2003 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था. वे अपना कार्यकाल पूरा भी नहीं कर पाए. एक साल भी पूरा नहीं हुआ था और एक मई 2004 को उनका निधन हो गया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामनरेश यादव यूपी से दूसरे व्यक्ति के तौर पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए. हालांकि उन्होंने अपना कार्यकाल तो पूरा कर लिया, लेकिन कार्यवाहक रहते हुए ही उनकी मौत हो गई. रामनरेश यादव की नियुक्ति eight सितंबर 2011 को हुई थी और 7 सितंबर2016 तक वे राज्यपाल रहे. नवंबर 2016 में जब उनका निधन हुआ तो उस समय तक नए राज्यपाल की नियुक्ति न होने की वजह से वे कार्यवाहक राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.
यूपी से तीसरे राज्यपाल थे लालजी टंडनयूपी से तीसरे राज्यपाल के तौर पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन थे, जिनका निधन पद पर रहते हुए हुआ है. 23 अगस्त 2018 को लालजी टंडन को बिहार का राज्यपाल बनाया गया. जब राज्यपाल बदले गए तब 20 जुलाई 2019 को उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया. ठीक एक साल बीतने के बाद 21 जुलाई 2020 को राज्यपाल पद पर रहते हुए ही उनका निधन हो गया. टंडन जी के निधन के बाद ये चर्चा आम हो गई है कि क्या यूपी के नेताओं के लिए मध्यप्रदेश के राज्यपाल का पद शुभ नहीं है.
जबकि 9 अप्रैल को लखनऊ की News 18 संवाददाता से बातचीत में मध्य प्रदेश के गवर्नर ने बताया था कि वो पूर्णरुपेण स्वस्थ हैं. उन्होंने कहा था कि उनका कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है, लेकिन जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आई थी, तो चिंता जरुर थी. बातचीत में उन्होंने बताया था कि मध्य प्रदेश की प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की टीम एक मीटिंग के लिए राजभवन आई थी, उसमें गवर्नर सहित राजभवन के अधिकारी शामिल हुए थे जिनमें प्रमुख सचिव स्वास्थ्य भी मौजूद थीं जो कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी.
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