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पटना/अररिया. बिहार के अररिया (Araria) में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें कथित तौर पर बताया जा रहा है कि कोर्ट की अवमानना (Contempt of courtroom) के आरोप में रेप पीड़िता और उसके दो सहयोगियों को जेल भेज दिया गया है. अब इस मामले में देशभर के जाने-माने वकीलों ने विरोध जताते हुए पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) से मामले में दखल देने की मांग की है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस व अन्य न्यायाधीशों को संबोधित कर लिखे गए पत्र में  376 अधिवक्ताओं का हस्ताक्षर है. इसमें आरोप लगाया गया है कि 22 साल की पीड़िता और उसकी दो सहयोगी सामाजिक कार्यकर्ताओं को 10 जुलाई को भादंवि की धारा 164 के तहत न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष बयान दर्ज कराने के वक्त न्यायिक हिरासत में लेकर समस्तीपुर जिले की दलसिंहसराय जेल भेज दिया गया था.

इंदिरा जयसिंह, प्रशांत भूषण समेत 376 वकीलों का पत्र

आरोप लगाया जा रहा है कि बिहार के अररिया जिले की एक अदालत के समक्ष पीड़िता अपनी उक्त दोनों सहयोगियों के साथ बयान दर्ज कराने गई थी. अदालत की अवमानना के आरोप में उन्हें हिरासत में लिया गया था. इसी मामले को लेकर लिखे पत्र में मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप की मांग की गई है.  इस पत्र पर पूर्व अपर सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जय सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, रेबेका जौन सहित 376 वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं.

दुष्कर्म पीड़िता की गिरफ्तारी पर वकीलों का पटना हाईकोर्ट को पत्र.

कोर्ट से संवेदनशीलता के साथ मामला देखने का आग्रह

उक्त पत्र में कहा गया है इस घटना को बहुत ही संवेदनशील होकर देखा जाना चाहिए. पीड़िता अपने साथ घटित घटना को बार-बार पुलिस और अन्य लोगों को बताने के कारण मानसिक तनाव में थी. उसके द्वारा दुर्व्यवहार को संवेदना के साथ देखे जाने की जरूरत है. पीड़िता की नाजुक स्थिति को समझने के बजाए उसे जेल भेज दिया गया.

6 जुलाई को रेप का आरोप, 7 को दर्ज हुई प्राथमिकी

दरअसल, महिला थाने में दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि बीते 6 जुलाई को पीड़ित युवती एक परिचित युवक के साथ मोटरसाइकिल चलाना सीखने गई थी. घर लौटने के दौरान चार अज्ञात लोगों ने उसके साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था. पीड़िता ने भय के कारण जन जागरण शक्ति संस्थान की अपनी एक परिचित फोन किया. उसके बाद संगठन की अन्य सहयोगियों की मदद से अररिया के महिला थाने में मामले को लेकर 7 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

10 जुलाई को बयान दर्ज करवाने कोर्ट आई रेप पीड़िता

7 और eight जुलाई को पीड़िता का मेडिकल टेस्ट करवाया गया. फिर 10 जुलाई को बयान दर्ज कराने के लिए उसे ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट ले जाया गया. आरोप लगाया जा रहा है कि कोर्ट में पहले तो चार घंटे तक इंतजार के बाद उसका बयान दर्ज किया गया. इसके बाद जब न्यायिक दंडाधिकारी ने बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा तो रेप पीड़िता नाराज हो गईं और संगठन की सदस्य कल्याणी और तन्मय निवेदिता को बुलाने की मांग करने लगीं. हालांकि समझाने-बुझाने के बाद पीड़िता ने हस्ताक्षर कर दिए.

नाराज होकर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने भेजा जेल!

इसी बीच कल्याणी और तन्मय निवेदिता जब कोर्ट पहुंचीं, तो पीड़िता उनसे वक्त पर नहीं आने को लेकर ऊंचे स्वर में बात करने लगी. बताया जा रहा है कि कल्याणी ने कोर्ट में रेप पीड़िता का बयान पढ़कर सुनाए जाने की मांग की, जिस पर काफी गर्मा-गर्मी होने लगी. न्यूज 18 को मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट के पेशकार राजीव रंजन सिन्हा ने दुष्कर्म पीड़िता सहित दो अन्य महिलाओं के विरुद्ध महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है. इसमें बताया गया है कि पीड़िता ने बयान देकर फिर उसी पर आपत्ति जताई. कोर्ट में बयान की कॉपी भी छीनने का प्रयास किया. इस पर कोर्ट में अभद्रता करने से नाराज न्यायिक दंडाधिकारी ने तीनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. इसके बाद शाम करीब 5 बजे कल्याणी, तन्मय और रेप पीड़िता को हिरासत में लिया गया और 11 जुलाई को जेल भेज दिया गया.

इस मामले में जब न्यूज 18 ने एसपी धुरात साईली सावलाराम से बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि कोर्ट के मामले में नहीं बोलेंगे. बहरहाल वकीलों के लिखे पत्र के आधार पर गुरुवार को कोर्ट में लिस्ट करने की प्रक्रिया की जानी थी, लेकिन किसी कारणवश इस पर बात आगे नहीं बढ़ी.



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