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भारतीय संस्कृति में भगवा और पीले रंग का बहुत खास महत्व है. सभी महत्वपूर्ण और धार्मिक कामों में इन दो रंगों की महत्ता को सबसे ऊपर रखा गया है लेकिन ये रंग क्यों हिंदू संस्कृति और पूजा और शुभकार्यों से जुड़ गए, ये जरूर सोचने वाली बात है. ये भी कहा जाता है कि ये दोनों ऐसे रंग हैं, जो देवताओं को भी बहुत प्रिय हैं.
रंग यूं भी हमारे जीवन से खास तौर से जुड़े हुए हैं. हर अवसर का एक खास रंग होता है. देश-दुनिया की तमाम बातें और चिन्ह रंगों के जरिए रिफलेक्ट की जाती हैं. झंडों में इस्तेमाल होने वाले रंगों का भी अपना खास अर्थ होता है. रंग हमारी आंखों की एक खास फ्रीक्वेंसी से मिलने पर खुद को जाहिर करते हैं.
विज्ञान के तौर पर पीला रंग विज्ञान के तौर पर देखें तो पीला रंग वह रंग है जो कि मानवीय आंखों के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यमक, दोनों तरंग दैर्घ्य वालों को प्रभावित करता है. ये वो रंग है, जिसमें लाल और हरा दोनों रंग बहुलता में होते हैं.
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अयोध्या में सबकुछ पीले रंग में
हिंदू परंपरा की बात की जाए तो पीले रंग का इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठान, और विद्या के लिए शुभ माना जाता है.अयोध्या के हाल-फिलहाल के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब पूरे शहर में पीले रंग का इतना वर्चस्व देखा जा रहा है.
प्रशासन ने मंदिर के आसपास के क्षेत्र को प्रशासनिक तौर पर ‘येलो जोन’ के तौर पर बनाया. शहर के महत्वपूर्ण स्थलों और सड़कों के किनारे की दीवारों को पीले रंग से रंग दिया गया, इसमें मकान, दुकानें और अन्य निर्माण सब शामिल हैं.
धार्मिक मान्यता क्या है
भगवान कृष्ण को पीतांबरधारी भी कहा जाता है, वो हमेशा पीले रंग में होते थे. तो भगवान राम भी जब वनवास के लिए अयोध्या से निकले तो उन्होंने पीले रंग के वस्त्र धारण किए. दरअसल, पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का परिचायक है.
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सृजन और सादगी का प्रतीक
यह सादगी और निर्मलता का भी प्रतीक है. सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु को भी पीला रंग प्रिय है. पीला रंग धारण करने से हमारी सोच सकारात्मक होती है. ये हमारे सृजन का भी प्रतीक है. यह हमें परोपकार करने की प्रेरणा देता है.
अयोध्या राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन और शिलान्यास समारोह में हर ओर भगवा और पीला रंग. माहौल में ये दो खास रंग हर ओर सराबोर रहे.
हिंदू धर्म में शुभ कामों में पीले रंग के वस्त्रों का इस्तेमाल खूब होता है. मांगलिक कार्यों में पीले रंग की हल्दी इस्तेमाल होता है. वहीं ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि पीला रंग मन को शांत रखता है, नकारात्मक विचारों को दूर करता है.
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भगवा रंग क्यों
भगवा को भी पीले रंग का एक विस्तार माना जाता है. आमतौर पर संन्यासी नारंगी (भगवा) वस्त्र पहनते हैं. नारंगी रंग लाल और पीले रंग का मिश्रण है. लाल रंग दृढ़ता का प्रतीक है तो पीले रंग की सात्विका से जुड़कर ये व्यापक भाव ले लेता है. इन्हीं भावों के सहारे हम संसार का माया-मोह त्याग पाते हैं.
तिरंगे में क्यों शामिल हुआ भगवा
केसरिया यानी भगवा रंग वैराग्य का रंग है. हमारे आज़ादी के दीवानों ने इस रंग को सबसे पहले अपने ध्वज में इसलिए सम्मिलित किया जिससे आने वाले दिनों में देश के नेता अपना लाभ छोड़ कर देश के विकास में खुद को समर्पित कर दें. हालांकि इसे उमंग और उत्साह के रंग से भी जोड़ा जाता रहा है.
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