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अयोध्या की संघर्ष यात्रा की प्रमुख तारीखें
1- 22-23 दिसम्बर 1949- मूर्तियां हुईं प्रकट
वर्ष 1949 के जुलाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने विवादित ढांचे के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की. लेकिन यह भी नाकाम रही. तो 1949 में 22-23 दिसंबर को विवादित ढांचे में राम-सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गईं.2- एक फरवरी 1986- ताला खुला और शुरू हुआ आंदोलन
1 फरवरी को शाम 4.40 बजे अदालत का फैसला आया और 5.20 बजे विवादित स्थल का ताला खुल गया. अदालत का फैसला आने के महज 40 मिनट के भीतर ताला खुलने के बाद से विश्व हिंदू परिषद ने रामजन्म भूमि मन्दिर के निर्माण का आन्दोलन शुरू कर दिया. संघ और बीजेपी ने आन्दोलन को जनजन तक पहुंचाने में विहिप की मदद की.
3- 30 अक्टूबर- 02 नवम्बर 1990- कारसेवा, चली गोलियां
मुलायम सिंह यादव की सरकार में कारसेवकों ने रामजन्मभूमि मन्दिर की ओर कूच किया. तब मुलायम सिंह ने ऐलान किया था कि अयोध्या में कारसेवकों को आने नही दिया जायेगा. सुरक्षा के इतने तगड़े इंतजाम होंगे कि परिंदा भी वहां पहुंच नही सकेगा. इसके बाद भी लाखों श्रद्धालु वहां पहुंच गए. उन्होंने पुलिस की घेराबंदी तोडकर मन्दिर में जाने का प्रयास किया। पुलिस ने गोली चलती कई लोगों की मौत 30 अक्टूबर को हुई. फिर 2 नवंबर को कोठारी बंधु समेत कई लोगों की मौत हुई. मुलायम सिंह को हिन्दू विरोधी कहा गया. मन्दिर आन्दोलन ने और तेजी पकड़ ली.
4- 6 दिसम्बर 1992- विवादित ढांचा गिराया गया
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में लाखों कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर ढांचे के गुम्बद पर चढ़े और करीब 4.30 बजे ढांचे का तीसरा गुम्बद भी गिर गया. इसके बाद वहां रामचंद्र परमहंस की देख-रेख में 24 घंटे की भीतर ही भगवान राम का अस्थायी मंदिर बना दिया गया. इस घटना को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया, जिसे केंद्र सरकार ने नहीं माना और कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया. विवादित ढांचे को गिराए जाने की वजह से देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए.
5- 9 नवम्बर 2019- सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
9 नवम्बर 2019 को शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे सुप्रीम कोर्ट ने सदियों पुराने इस विवाद पर अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर पहुंचे. पांच जजों ने लिफाफे में बंद फैसले की कॉपी पर दस्तखत किए और इसके बाद जस्टिस गोगोई ने फैसला पढ़ना शुरू किया. कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का हक बताते हुए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया. ट्रस्ट के पास ही मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी होगी यानी अब राम मंदिर का निर्माण का रास्ता साफ हो गया. कोर्ट ने विवादित जमीन पर पूरी तरह से रामलला का हक माना है, लेकिन मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में जमीन देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही किसी उचित जगह मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जगह दी जाए. फैसले में (भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण) का हवाला देते हुए कहा गया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी खाली जगह पर नहीं किया गया था. विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था.
कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने रिपोर्ट के आधार पर फैसले में यह भी कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है. इससे आगे कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है. कोर्ट ने 6 दिसंबर 1992 को गिराए गए ढांचे पर कहा कि मस्जिद को गिराना कानून का उल्लंघन था. ये तमाम बातें कहने के बाद कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का हक बताया. कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावों को खारिज कर दिया.
6- 5 अगस्त 2020- भूमिपूजन के साथ निर्माण आरंभ
सुप्रीम कोर्ट के 9 नवम्बर 2019 को सुनाये गए फैसले के अनुसार अब 5 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भव्य श्रीरामजन्म भूमि निर्माण के लिए भूमि पूजन किया. इसके साथ ही राम मंदिर निर्माण की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो गई.
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