[ad_1]
रामलला के भूमि पूजन की भव्य तैयारियां शुरू हो गयी हैं. वहीं जानकारी के अनुसार भूमि पूजन के समय कच्छप और शेषनाग की चांदी की मूर्ति की स्थापना होगी. राम लला का भूमि पूजन वैदिक विद्वान संपन्न कराएंगे. इसके साथ ही अश्वशाला, गौशाला, तीर्थों की मिट्टी और देश के सभी प्रमुख नदियों के जल से रामलला के मंदिर का भूमि पूजन होगा.
रामानंदी परंपरा से भूमि पूजन की शुरुआत
उन्होंने बातया कि राम मंदिर के लिए भूमि पूजन की शुरुआत रामानंदी परंपरा से सबसे पहले पृथ्वी की पूजा होगी. उसके बाद नवग्रह की पूजा होगी. इसके बाद गौरी गणेश की पूजा होगी और उन्हें भोग लगाया जाएगा. वहीं इसके बाद अलग-अलग नाम की पांच अलग अलग शिलाओं की उनके नाम नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता, पूर्णा से पूजा होगी. कांस्य कलश में पंचधातु, पंच रतन- हीरा, पन्ना, माणिक, मोती और मूंगा भी होगा.
इसके बाद समस्त तीर्थों की मिट्टी, नदियों का जल, समुद्र की मिट्टी और समुद्र का जल, गौशाला और अश्व शाला की मिट्टी के साथ मानव कल्याण से जुड़ी औषधि को रखा जाएगा और इसके बाद शिलाओं की स्थापना के साथ ही भूमि पूजन का यह पूरा अनुष्ठान संपन्न होगा.प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि राम मंदिर के लिए भूमि पूजन अनुष्ठान कराने के लिए विशेष तौर पर अयोध्या, काशी और कुछ अन्य स्थानों के धार्मिक विद्वानों को बुलाया जाएगा और उन्हीं की देखरेख में यह पूरा भूमि पूजन या यूं कहें नींव पूजन अनुष्ठान संपन्न होगा. नींव पूजन अनुष्ठान के बाद विधिवत तौर पर राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा.
राम का मंदिर बनना है तो रामानंदी परंपरा…
राम जन्म भूमि के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि यह भगवान रामलला के मंदिर का पूजन है, भगवान श्री राम के मंदिर का पूजन है और जितने भी मंदिरों की पूजा होती है उनकी परंपरा के अनुसार होती है. राम का मंदिर बनना है तो रामानंदी परंपरा से, भगवान शिव का मंदिर बनना है तो शिव की परंपरा, देवी का मंदिर बनना है तो शक्ति परंपरा से, इसलिए सब की अलग-अलग परंपरा होती है.
उन्होंने कहा कि यहां भगवान श्री राम का मंदिर बनना है इसलिए रामानंदी परंपरा के अनुसार यह शिला रखी जाएगी और भव्य दिव्य मंदिर बनेगा. इसमें प्रधानमंत्री जी का भी आना है. रही बात पूजा पद्धति की तो वास्तु शास्त्र में इसकी पूजा पद्धति है और उसमें रामानंदी, रामानुजी और शिव शक्ति सब अलग-अलग परंपरा के रूप हैं. भगवान राम लला का मंदिर रामानंदी परंपरा के अनुसार बनना है उसी की पूजा होनी है.
[ad_2]
Source