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अयोध्या में होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ ही कई राजनेता, साधु-संत एवं अन्य वीआईपी शामिल होगें. इस भूमि पूजन में पीएम नरेन्द्र मोदी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ताम्रकलश को स्थापित करेगें.
भेजा जाएगा चांदी का ईंट
इस सिलसिले में गया के फल्गु नदी की बालू का प्रयोग किया जाना सुनिश्चित हुआ है, जो यहां के सनातन धर्मावलंबियों के लिए खुशी की बात है. यहां के सनातन धर्म से जुड़े और प्रभु श्रीराम के भक्त सवा किलो चांदी का ईंट भी भेजने की तैयारी कर रहें हैं. अयोध्या में होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ ही कई राजनेता, साधु-संत एवं अन्य वीआईपी शामिल होगें. इस भूमि पूजन में पीएम नरेन्द्र मोदी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ताम्रकलश को स्थापित करेगें. इस ताम्र कलश में गंगाजल के साथ ही कई पवित्र स्थलों का जल एवं पंचरत्न के साथ ही कई अन्य सामग्री होगी. इसके लिए देशभर के विभिन्न तीर्थस्थलों से संबंधित सामग्री को लाने की प्रकिया शुरू कर दी गयी है. इस दौरान 40 किलो चांदी की शिला भी समर्पित की जायेगी.
फल्गु नदी का है धार्मिक महत्वधार्मिक नगरी गया से गुजरनेवाली फल्गु नदी को गंगा से भी पवित्र माना गया है, यही वजह से है सनातन धर्म के माननेवाले देश विदेश के लाखों श्रद्धालु हरेक साल गया में आकर अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान करतें हैं और फल्गु नदी में तर्पण करतें हैं. जिनके पास अपने पूर्वजों को देने की लिेए किसी तरह की सामग्री नहीं होती है वे फल्गु नदी के बालू का ही पिंड बनाकर पूर्वजों के मोक्ष कामना हेतु पिंडदान करतें हैं, जैसा की राम की पत्नी सीता के द्वारा अपने ससुर राजा दशरथ के लिए किया गया था.
बिहार सरकार के मंत्री प्रेम कुमार ने जताई खुशी
गया के स्थानीय भाजपा विधायक और बिहार सरकार के कृषि पशुपालन एनं मत्स्य मंत्री प्रेम कुमार ने फल्गु नदी के बालू का उपयोग अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के निर्माण में उपयोग किये जाने की सूचना पर खुशी जताई है. मंत्री प्रेम की मानें तो अयोध्या की तरह ही गया भी धार्मिक नगरी है. प्रभु श्रीराम, सीता के साथ अपने पिता के लिए पिंडदान करने की कथा प्रचलित हैं और माता सीता द्वारा फल्गु को अन्त:सलिला होने का शाप दिया हुआ है, ऐसे में इस पवित्र नदी के बालू का उपयोग अयोध्या के श्रीराम मंदिर में होने की सूचना से हर गयावासी हर्षित और उत्साहित हैं.
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