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जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान महिलाओं को ये सामान बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है. संस्थान के वैज्ञानिक सतीश चन्द्र आर्य का कहना है कि चीड़ से घर के सजावटी सामान और राखी बनाने में दक्ष होने से महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकती हैं.
खूबसूरत और ईको फ्रेंडली
जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक सतीश चन्द्र आर्य का कहना है कि चीड़ से घर के सजावटी सामान और राखी बनाने में दक्ष होने से महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकती हैं. इस रक्षाबंधन में चीड़ के पत्तों, छाल और बीज से बनी राखियां लोग पहन सकेंगे. ये दिखने में भी खूबसूरत हैं और ईको फ्रेंडली भी.
स्थानीय निवासी दीप्ति भोज का प्रशिक्षण पूरा हो गया है और उन्होंने ईको फ्रेंडली राखियां बनाने का काम शुरु भी कर दिया है. अब वह दीप्ति खुद तो राखी बनाएंगी ही अपने गांव वालों को भी राखी बनाने का प्रशिक्षण देंगी, ताकि इस बार महिलाएं अपने भाइयों को बाज़ार से लाई राखी की जगह अपने हाथ से बनी राखी पहनाएं.
दीप्ति कहती हैं कि वह गांव की महिलाओं को घर के सजावटी सामान बनाने का प्रशिक्षण देंगे. इससे वे अपने घरों की सजावट के लिए बाज़ार पर निर्भर नही रहेंगी और धीरे-धीरे इसमें दक्षता हासिल कर ये सामान बाज़ार में बेच भी सकती हैं. उन्होंने बताया कि चीड़ से बने इस सामान को लेकर बाजार से प्रतिक्रिया भी अच्छी मिल रही है. लोगों के बीच चीड़ से बनी ईको-फ्रेंडली राखियों को लेकर उत्सुकता भी है.
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