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दून में डेढ़ लाख तक लग चुकी है कुर्बानी के लिए बकरों की बोली
वॉट्सऐप पर सौदेबाज़ी
मजबूरी में बदल गए हालात और बाज़ार से बकरा व्यापारी ख़ुश नहीं हैं. बकरा व्यापारी अकरम कुरैशी कहते हैं कि साल भर इस त्यौहार के लिए वह जी-तोड़ मेहनत करते हैं लेकिन इस साल कोरोना ने सब चौपट कर दिया है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते लोगों के पास नौकरियां नहीं हैं और व्यापार भी चौपट हैं इसलिए त्यौहार भी ठंडा है. कुर्बानी के बकरों की मांग बहुत कम है.
एक अन्य बकरा व्यापारी इस्लाम भी इससे सहमत हैं. हालांकि वह बताते हैं कि वॉट्सऐप पर बकरे की फ़ोटो ग्राहक को भेजते हैं, पसंद आने पर रेट तय किए जाते हैं और फिर होम डिलीवरी की जा रही है.
पसंद के बकरे मिलना मुश्किल
हालांकि ख़रीदारों का कहना है कि वह फ़ोन पर बुकिंग कर तो रहे हैं लेकिन संतुष्टि नहीं मिल पा रही. इस बार ईद पर वो रौनक नहीं है. सहारनपुर से आने वाले बकरे इस साल नहीं आ पा रहे हैं इसलिए पसंद के बकरे मिलना मुश्किल हो रहा है.
बहरहाल लोग सोशल साइट पर कितने भी बकरे बेच और खरीद ले लेकिन दिक्कत उन लोगों के लिए है जो टेक्नोलॉजी से ज्यादा वाकिफ़ नहीं हैं. ऐसे लोग बकरे बेचने के लिए मंडी आए और वहां एंट्री न मिलने की वजह से बीच सड़क पर अपने बकरे लेकर खड़े नज़र आ रहे हैं.
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