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नियमानुसार जुलाई में 8.5 फ़ीट के बाद झील से पानी छोड़ने की व्यवस्था है.15 से 30 सितंबर तक झील के वाटर लेवल को 12 फीट पर रखना होता है.
नैनी झील के नियम
नैनीताल की जान नैनी झील को लेकर अंग्रेजों के दौर से ही नियम बने हैं जो काफ़ी प्रभावी रहे हैं. इन नियमों के तहत जुलाई महीने में 8.5 फ़ीट के बाद झील से पानी छोड़ने की व्यवस्था है जो 14 सितंबर तक चलती है. इसके बाद 15 से 30 सितंबर तक झील के वाटर लेवल को 12 फीट पर रखना होता है.
इस बार 10 फीट पर भी झील से पानी नहीं छोड़ा गया है जिसे लेकर अब चिंता जताई जाने लगी है. सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता हरीश चन्द्र सिंह भारती कहते हैं कि इस बार बारिश 2018 के मुकाबले काफी कम हुई है लेकिन इसके बाद भी पानी के स्तर को बनाए रखा गया है.हरीश चन्द्र कहते हैं कि झील का पानी लगातार बढ़ने से झील पर पड़ने वाले दबाव को लेकर चिंता जताई गई है और उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है. जैसे ही कोई उत्तर मिलता है झील से पानी छोड़ने को लेकर फ़ैसला किया जाएगा.
इस कारण झील हुई लबालब
नैनीताल झील को लेकर चिंता हमेशा से ही रही है. साल 2016 में झील की स्थिति सबसे खराब हुई जब पानी इतना कम हो गया था कि इसमें डेल्टा दिखने लगे थे. राज्यपाल व सरकार के निर्देश के बाद नैनीझील को बचाने की कवायद शुरु की गई तो शहर में पानी की सप्लाई को आधा कर दिया गया. हालांकि इस बार पानी की कटौती के साथ लॉकलाउन में पर्यटक न आने की वजह से पानी की खपत नहीं हुई तो स्कूल, कॉलेज और दफ्तर बंद होने का भी असर झील की सेहत पर पड़ा है.
झील पर नजरें रखने वाले सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता डीडी सती कहते हैं कि पिछले दिनों रात में 2 बारिश ऐसी हुई हैं कि जिनसे झील में पानी एक फ़ीट से ज़्यादा बढ़ा है. जबसे झील में पानी का स्तर तेजी से बढने लगा है झील पर नज़रें रखी जा रही हैं ताकि खतरे का अंदेशा मिलते ही झील से पानी को छोड़ा जा सके.
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