[ad_1]
नया प्लान
दरअसल सूखाताल झील को पुनर्जीवित करने की मुख्यमंत्री घोषणा कर चुके हैं. इसके लिए सिंचाई विभाग ने 700 करोड़ रुपये का प्लान तैयार किया है लेकिन अब कमिश्नर कुमाऊं ने इसमें बदलाव किया है. झील के निरीक्षण के दौरान मीडिया से बातचीत में कमिश्नर कुमाऊं और मुख्यमंत्री के सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने कहा कि सूखाताल को पर्यटन के लिए विकसित करने के साथ भूजल स्तर बढ़ाने के लिए काम किया जाना है. इसमें सिंचाई विभाग को इस झील को जलाशय के रुप में बनाने को कहा गया है और केएमवीएन इस पर पर्यटन विकास के लिए काम करेगा.
ह्यांकी ने कहा कि झील का स्वरूप ऐसा होना चाहिए कि यहां पर पर्यटन गतिविधियां हो ताकि नैनीताल मालरोड़ से पर्यटकों को यहां लाया जा सके और रुसी बाइपास से सीधे यहां तक पर्यटक आ सकें. पर्यटन व सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि सभी प्लान 15 दिन में पूरा कर दें ताकि शासन को समय पर भेजा जा सके.बरसात में भी सूखा
सूखाताल झील नैनीझील का कैचमेंट इलाका है. इस झील से नैनीताल झील में 20 से 40 प्रतिशत पानी की आपूर्ति पूरी की जाती है. जानकार बताते हैं कि बरसात में पानी भरने के बाद इसी झील से गर्मी के दौरान नैनीताल में पानी की आपूर्ति होती है और झील के जलस्तर मेनटेन रहता है. लेकिन पिछले कुछ सालों से इस झील में पानी न भरने की वजह से प्रशासन के आगे चुनौती खड़ी हो गई है.
नैनीताल पालिका के सभासद मनोज साह जगाती कहते हैं कि झील में आने वाले सभी नालों को या तो लोगों ने बंद कर दिया है या फिर उनका प्रवाह मोड़ दिया है. इसकी वजह से भारी बरसात के बाद भी पानी नहीं भर रहा है. मनोज जगाती कहते हैं कि यहां प्लान तैयार करने से पहले इन नालों को खोला जाना चाहिए और झील में जो मिट्टी और गाद है उसे हटाना चाहिए झील को पुनर्जीवित किया जा सके.
हाईकोर्ट के आदेश का भी नहीं पालन
दरअसल सूखाताल झील को पुनर्जीवित करने की सरकार ने तो घोषणा की ही है इसके साथ ही हाईकोर्ट का भी इस बारे में आदेश है. अजय रावत की जनहित याचिका पर फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने भी इसे पुराने स्वरूप में लाने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट ने झील से अतिक्रमण हटाने के भी निर्देश जारी किए थे हालांकि अब तक प्रशासन ने 60 से ज्यादा अतिक्रमण को चिन्हित तो कर लिया है लेकिन हटाया नहीं है.
उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के वकील राजीव बिष्ट कहते हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के तहत सूखाताल को फिर से झील का स्वरूप देना होगा और जो झील में आने वाले जो नाले गायब कर दिए गए हैं, उन्हें भी झील में जोड़ना होगा. अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होता है तो कोर्ट आदेश की अवमानना मानी जाएगी.
सिर्फ अधिकारियों के दौरे
सूखाताल को लेकर पर्यावरणविद् लगातार सवाल उठाते रहे हैं. हालांकि कोर्ट के आदेश और मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद कई अधिकारियों ने इस झील का दौरा ज़रूर किया लेकिन परिणाम आज तक शून्य ही रहे. इसे झील का स्वरूप देने के लिए पहले पूर्व कमिश्नर सेंथिल पांडियन ने प्रयास किए और उसके बाद चन्द्रशेखर भट्ट ने भी. पूर्व कमिश्नर राजीव रौतेला ने घंटों तक बैठक लेकर सिंचाई विभाग की समीक्षा की और पुनर्जीवन योजना को स्वरूप दिया लेकिन वह भी ज़मीन नपर नहीं उतर सकी.
अब नए कमिश्नर ने नए तेवर के साथ नया प्लान तैयार किया है लेकिन इसके बारे में कुछ भी कहना जल्दहबाज़ी होगी. न्यूज 18 से बातचीत में कमिश्नर अरविंद सिंह ह्यांकी ने कहा कि जो नाले झील में आते हैं, सख्त निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें झील से जोड़ा जाए. इसके साथ ही अतिक्रमण हाटाने की प्रक्रिया शुरु की जाए ताकि जलाशय को पुनर्जीवित कर पर्यटन से जोड़ा जाए.
[ad_2]
Source