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एक तरफ यूपी एसटीएफ (UP STF) उसके गैंग के सदस्यों को चुन-चुकार मार रही थी, ऐसे वक्त में विकास दुबे (Vikas Dubey) को अंदाजा लग चुका था कि अगर वह उनके हत्थे चढ़ा तो मौत निश्चित है. इसलिए उसने गिरफ़्तारी देने का प्लान बनाया.
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक वह हरियाणा या दिल्ली के कोर्ट में सरेंडर करने की कोशिश की. लेकिन पुलिस की सख्ती की वजह से वह कल रात ही उज्जैन निकल गया. सूत्रों के मुताबिक यहां उसके साथ लखनऊ के दो वकील भी थे जो उसे सरेंडर करवाने वाले थे. दोनों को पुलिस ने हिरासत में ले रखा है. हालांकि दोनों वकीलों का कहना है कि वे दर्शन करने के लिए आए थे और उनका विकास से कोई लेना देना नहीं है. उधर पुलिस का कहना है कि दोनों से पूछताछ के बाद ही छोड़ा जाएगा.
सोची समझी रणनीति के तहत पहुंचा उज्जैन
आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद से ही विकास दुबे ने अपने बचने का प्लान भी तैयार कर लिया था. दो दशकों से पुलिस और कानून को धोखा दे रहे विकास दुबे को पता था कि इस बार वह बच नहीं पाएगा. लिहाजा उसने गिरफ्तारी देने के लिए उज्जैन को चुना. उज्जैन में ही उसकी ससुराल भी है. कहा जा रहा है कि यहां तक पहुंचने और महाकाल मंदिर में पहुंचाने में भी किसी स्थानीय ने उसकी मदद की. अब उज्जैन पुलिस इसका भी पता लगा रही है.इसलिए महाकाल मंदिर को चुना
विकास दुबे को पता था कि कोरोना काल में सब कुछ बंद है और महाकाल मंदिर में भी वीआईपी दर्शन नहीं हो रहे हैं. लिहाजा वहां ज्यादा भीड़ नहीं होगी. जिसके वजह से वह पहले खुद ही मंदिर पहुंचता है. सेल्फी लेता है. मास्क उतार्कार्प्रसाद लेता है. फिर शक के आधार पर उसकी जानकारी महाकाल मंदिर थाने को दी जाती है. उसके बाद पुलिस पहुंचती है. फिर मीडिया को देखकर वह खुद ही चिल्लाकर कहता है कि वह कानपुर वाला विकास दुबे है. जिसके बाद उसकी गिरफ़्तारी होती है. सब कुछ नाटकीय और कई सवाल भी खड़े कर रहा है. जहां था यूपी पुलिस की 40 ज्यादा थानों की फोर्स उसको खोज रही थी तो वह उज्जैन कैसे पहुंच गया? इस दौरान उसकी किसने मदद की? अब यह साफ़ जांच का विषय है. यूपी पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर लेने के लिए उज्जैन निकल चुकी है.
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