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Kanpur Shootout: 2 जुलाई की उस काली रात को ऐसा क्या हुआ कि विकास दुबे (Vikas Dubey) ने एक सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी.
हत्या के प्रयास की FIR के बाद दबिश का निर्णय लिया गया
2 जुलाई को दुर्दांत विकास दुबे के खिलाफ चौबेपुर थाने में हत्या के प्रयास की एफआईआर दर्ज की गई.इस केस में जांच अधिकारी दारोगा केके शर्मा को बनाया गया. इसके बाद तय हुआ कि देर रात पुलिस की टीम विकास दुबे के घर पर दबिश देगी. इस टीम का नेतृत्व खुद सीओ विल्ल्हौर देवेंद्र शर्मा कर रहे थे. लेकिन जिसे इस केस का जांच अधिकारी बनाया गया था, उसी ने दगाबाजी कर दी. दारोगा केके शर्मा ने दबिश की जानकारी विकास दुबे को दे दी. जिसके बाद रात 12 बजे से पहले कई बार विकास ने चौबेपुर थाने के सिपाही राजीव को फोन किया. लेकिन राजीव ने कॉल रिसीव नहीं की. रात 12 बजकर 11 मिनट पर राजीव ने पलटकर विकास को फोन किया. तब विकास ने कहा कि उसे जानकारी है कि आज उसके घर पुलिस दबिश देगी. विकास ने राजीव से कहा कि पुलिस दबिश देगी तो अंजाम बहुत बुरा होगा. आज पुलिस को देख लेंगे. खून की नदियां बहेंगी.
विनय तिवारी को पता था क्या होने वाला हैइसके बाद सिपाही राजीव ने विकास के मंसूबों की जानकारी एसओ विनय तिवारी को दे दी. लेकिन यहां पर फिर दगाबाजी की गई. एसओ विनय तिवारी ने ये बात किसी को नहीं बताई. जबकि उनकी यह जिम्मेदारी थी कि वे अपने अधिकारी सीओ देवेंद्र मिश्रा को यह जानकारी देते, ताकि पुलिस टीम सतर्क रहती. लेकिन इतने बड़े खतरे से उन्होंने किसी को आगाह नहीं किया.
विनय तिवारी ने पूरी टीम को मौत के मुंह में जाने दिया
विनय तिवारी को पता था कि विकरू गांव में उस रात क्या होने वाला है, फिर भी उन्होंने अपने साथियों को मौत के मुंह में जाने दिया. उधर केके शर्मा को भी मालूम था कि वहां ख़ूनी खेल होने वाला है. इसीलिए जांच अधिकारी होने के बावजूद भी केके शर्मा दबिश देने जा रही टीम के साथ विकास दुबे के गांव नहीं गया. विनय तिवारी ने अगर बता दिया होता तो शायद पुलिस ज्यादा तैयारी के साथ पीएसी लेकर दबिश पर जाती. इसीलिए विनय तिवारी और के के शर्मा को आपराधिक साजिश की धाराओं में गिरफ्तार किया गया है.
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