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एसएसपी दिनेश कुमार ने चार दिन के भीतर युवक की बरामदगी का भरोसा दिया था. यह अवधि भी बीत गई लेकिन ना तो अपहृत युवक का पता चला और ना ही अपहरणकर्ताओं का. आलम ये है कि अब एसएसपी दिनेश कुमार इस मामले में बात करने से बचते नजर आते हैं.
पुलिस को अगर पता होता तो युवक को बरामद करा देती!
बता दें कि एक सप्ताह पहले पुलिस की आंखों के सामने अपहरणकर्ता रुपयों से भरा बैग लेकर फरार हो गए और पुलिस हाथ मलती रह गई, जिसके बाद एसएसपी कानपुर ने पीड़ित परिवार से मिलकर four दिन के भीतर युवक की बरामदगी का भरोसा दिया था. यह अवधि भी बीत गई लेकिन ना तो अपहृत युवक का पता चला और ना ही अपहरणकर्ताओं का. आलम ये है कि एसएसपी दिनेश कुमार (SSP Kanpur Dinesh Kumar) अब इस मामले में बात करने से बचते नजर आते हैं. मीडिया के सवाल पूछने पर एसएसपी ने कहा कि उनके पास बताने के लिए कुछ नहीं है. पुलिस को अगर पता होता तो युवक को बरामद करा देती अभी कोई जानकारी नहीं है.
सर्विलांस सेल कॉल को ट्रेस नहीं कर पाईइधर एक महीना बीत जाने के बाद भी युवक के वापस नहीं लौटने से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. परिजनों ने बताया कि 30 लाख की फिरौती लेने के बाद से अपहरणकर्ताओं का कोई फोन भी नहीं आया है. ऐसे में परिजन पुलिस की बातों पर भरोसा कर घर में बैठकर अपने जवान बेटे के लौटने का इंतजार कर रहे हैं. आपको बता दें कि बर्रा थाना क्षेत्र में रहने वाला 30 साल का संजीत एक अस्पताल में लैब टेक्नीशियन है. 22 जून की शाम अस्पताल से घर के निकला लेकिन पहुंचा नहीं, उसके एक सप्ताह बाद 29 जून को फिरौती के लिए पहला फोन आया था. जिसके बाद पान की गुमटी से परिवार का गुजर-बसर करने वाले संजीत के पिता चमन लाल ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. पुलिस ने नंबर नोट करने के बाद उन्हें हिदायत दी कि जब भी अपहरणकर्ता का फोन आए तो वह लंबी बात करें लेकिन बर्रा थाना पुलिस और सर्विलांस सेल कॉल को ट्रेस कर अपहरणकर्ता की लोकेशन का पता नहीं लगा पाई. अपहरणकर्ता लगातार 30 लाख की फिरौती न देने पर युवक की हत्या करने की धमकी दे रहे थे.
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ये कैसी पुलिस!
चमन लाल का कहना है कि उन्होंने पुलिस के कहने पर किसी तरह से 30 लाख रुपयों का इंतजाम किया और पुलिस के दिए बैग में रुपए रखकर पुलिस की मौजूदगी में गुजैनी पुल के ऊपर से रुपयों से भरा बैग नीचे फेंका. अपहरणकर्ता बैग लेकर फरार हो गए और पुलिस अपहरणकर्ताओं को पकड़ नही पाई, उल्टे पुलिस परिवार पर बैग में रुपए नहीं होने की बात कहने का दबाव बनाने लगी. जब बात बढ़ी तो एसएसपी ने परिवार को four दिन का आश्वासन दिया लेकिन सप्ताह बीत जाने के बाद भी पुलिस कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है. बर्रा थाने में अधीनस्थों के साथ बैठक करने पहुंचे एसएसपी से जब मीडियाकर्मियों ने पूछा कि क्या प्रगति है तो उन्होंने दो टूक कहा अभी कोई अपडेट नहीं है.आप लोग किसी दूसरे विषय में सवाल पूछना चाहते हैं तो पूछ लें.
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