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30 साल के कोरोना संक्रमित मरीज (Corona affected person) का आरोप है कि एम्स में उसे एडमिट नहीं किया गया. गार्ड ने बताया कि डॉक्टर ने कहा कि बेड खाली होने पर भर्ती किया जाएगा. चार घंटे बाद जब कोई बुलावा नहीं आया तो वो अपने घर रवाना हो गया.
मरीज के मुताबिक, ऑपरेशन से ठीक पहले कराए गए कोरोना जांच में वह पॉजिटिव पाया गया. उसे महावीर कैंसर संस्थान ने फोन पर कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी और एम्स या अन्य कोरोना अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दिया. 30 वर्षीय संक्रमित युवक सीधे अपने घर से पहले बामेती पहुंचा. बामेती में पहले तो कैंसर पीड़ित कोरोना मरीज को रखने से इंकार कर दिया और फिर संक्रमित को एम्स पटना में जाने को कहा गया. फिर पीड़ित वहां से एम्स पटना पहुंचा जहां पहले से तीन-चार कोरोना संक्रमित कोविड वार्ड के बाहर खड़े थे. गार्ड ने बताया कि डॉक्टर ने कहा कि बेड खाली होने पर भर्ती किया जाएगा. चार घंटे बाद जब कोई बुलावा नहीं आया तो संक्रमित वापिस अपने घर बिहार शरीफ रवाना हो गया. इस मामले में सिविल सर्जन को जब फोन लगाया गया तो कॉल काट दी गई.
मरीज में नहीं थे कोई लक्ष्ण
वहीं, एम्स के नोडल अधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि मरीज में कोई लक्षण नहीं है. वह पॉजिटिव होने के बावजूद स्टैबल है तो घर में होम क्वारंटाइन रह सकता है. अब सवाल ये है कि एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाने और सड़कों पर भटकने के दौरान कितने लोग इस संक्रमित के संपर्क में आए होंगे इसका जिम्मेदार कौन होगा. सरकार एक तरफ जहां ज्यादा से ज्यादा जांच कराने की बात कहती है वहीं एक कोरोना संक्रमित पॉजिटिव रिपोर्ट लेकर क्वारंटाइन सेंटर और अस्पताल का चक्कर लगाता है और सभी जगह से मायूसी ही हाथ लगती है.
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