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सारे कंप्यूटर इंस्टीट्यूट अवैध?
अगर आप बेरोज़गार हैं और सरकारी नौकरी का इंतज़ार कर रहे थे तो यह खबर आपके लिए है. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (USSSC), जो सरकारी विभागों में भर्तियों के लिए एग्ज़ाम कराता है उसने एक ऐसा फरमान निकाला है जिसका जवाब आयोग के पास भी नहीं. आयोग ने पीए और स्टेनोग्राफर्स के 158 पदों के लिए अप्प्लिकेशन मांगी है. ज़रूरी क्वालिफेकेशन में मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट से एक साल का कंम्पयूटर कोर्स भी है. लेकिन राज्य में एक भी मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट ऐसा नहीं है जिसके कोर्स को आयोग माने.
इस वजह से आवेदनकर्ता परेशान हैं. बेरोज़गार संघ के प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सरकार को अपना मत स्पष्ठ करना चाहिए कि वह चाहती क्या है? प्रदेश भर में दर्जनों की संख्या में कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट खुले पड़े हैं, क्या ये सब अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं? यदि हां तो सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती क्योंकि यहाँ हज़ारों बच्चे मोटी फीस देकर प्रशिक्षण ले रहे हैं. ये सभी इंस्टीट्यूट सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत मान्यता प्राप्त हैं.लंबे समय से समस्या
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष संतोष बडोनी का कहना है कि यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है. आयोग अभी तक ऐसे कैंडिडेट का चयन करता रहा है, लेकिन विभाग इसे सरकार से मान्यता प्राप्त न होना बताकर रिजेक्ट कर देता है. बाद में आयोग ने कई मामलों में कैंडिडेट का चयन कर कम्प्यूटर सर्टिफिकेट का मामला विभागों पर छोड़ दिया. लोकसेवा आयोग में आया ऐसा ही एक मामला हाईकोर्ट में चल रहा है.
दरअसल , कार्मिक विभाग की अधीनस्थ कार्यालय वैयक्तिक सहायक संवर्गीय कर्मचारी सेवा सीधी भर्ती नियमावली 2018 में शैक्षिक अहर्ता में एक नियम है कि किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से एक वर्षीय कंप्यूटर पाठ्यक्रम उत्तीर्ण होना अनिवार्य है. यही नियम अब ऐसी भर्तियों में रोड़ा बना हुआ है.
सरकार को पता ही नहीं
आयोग ने कार्मिक विभाग को पत्र भेजकर कहा है कि ‘मान्यता प्राप्त संस्थान’ स्पष्ट नहीं है. इससे यह पता नहीं लगता कि कौन-कौन से संस्थान एक वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए मान्यता प्राप्त हैं. इससे कैंडिडेट सिलेक्शन में दिक्कतें आ रही हैं.
आयोग ने कार्मिक विभाग को सुझाव दिया है कि एक वर्षीय कंप्यूटर पाठ्यक्रम हेतु NIELIT का CCC, हिल्ट्रॉन या प्राविधिक शिक्षा परिषद आदि के संचालित या मान्यता संस्थानों के पाठ्यक्रमों का प्रावधान करना उचित होगा.
न्यूज़ 18 ने इस मामले पर सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक से बात करनी चाही तो उन्हें कुछ पता ही नहीं था. उन्होंने कहा कि यह बात कभी सरकार की जानकारी में नहीं आई. उन्होंने इसे गम्भीर मामला बताते हुए कहा कि अगर ऐसा हो रहा है तो इसमें सुधार किया जाएगा.
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