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eight टेस्ट होने हैं, अभी तक एक सफल टेस्ट हुआ
जानकारी के अनुसार गोरखपुर के राणा अस्पताल में ये ह्यूमन ट्रायल चल रहा है. प्रांजल पर कुल eight टेस्ट होने हैं. इनमें से एक टेस्ट बुधवार को किया गया, जो सफल रहा. अभी 7 और टेस्ट होने हैं.
आजमगढ़ जिला राहुल संस्कृत्यान, हरिऔध, अल्लामा शिब्ली नोमानी, कैफी आजमी के नाम से जहां पूरे विश्व में विख्यात है. अब जिले के लाल ने पूरे प्रदेश में अपने जिले के मान को बढ़ाया और अपनी जिन्दगी की परवाह किए बगैर इसने अपने शरीर को कोरोना महामारी को देखते हुए वैक्सीन के परीक्षण के लिए दे दिया.कोरोना वायरस के संक्रमण से आज पूरे विश्व में दहशत का माहौल है. भारत में भी कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. कोरोना के इलाज के लिए कई देश वैक्सीन बनाने का दावा भी कर चुकी हैं. भारत में भी कुछ चिकित्सकों एवं संस्थानों ने वैक्सीन बनाने का दावा किया है लेकिन अभी तक वैक्सीन का परीक्षण नहीं हो पाया है.
खुद ही सीएम और एम्स दिल्ली भेजा पत्र, मिली स्वीकृति
इस बीच फूलपुर कस्बे के रहने वाले समाजिक कार्यकर्ता और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता प्रांजल जायसवाल ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के परीक्षण के लिए अपने शरीर पर परीक्षण करने की पेशकश कर दी. उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, दिल्ली को डीएम आजमगढ़ के माध्यम से एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अपने ऊपर वैक्सीन का परीक्षण कराने की स्वीकृति दी है.
गोरखपुर में टेस्ट शुरू
उन्होंने पत्र में लिखा कि कोरोना जैसी महामारी के कारण पूरी दुनिया को क्षति हो रही है. इस क्षति से दुखी होकर मानव जाति के कल्याण के लिए उन्होंने ये फैसला लिया है. अगर कोरोना वायरस के खात्मे के लिए कोई वैक्सीन तैयार की जाती है तो उसका परीक्षण सर्वप्रथम उनके शरीर पर किया जाए. अब इसकी मंजूरी भी सरकार की तरफ से मिल गई है और प्रांजल का गोरखपुर में पहला टेस्ट भी हो चुका है. जानकरी के अनुसार अभी उसके कई टेस्ट बाकी हैं.
प्रांजल का कहना है कि वैक्सीन के परीक्षण के लिए मानव शरीर की आवश्यकता थी. जिसके लिए उसने अपने शरीर को परीक्षण के लिए दिया. गोरखपुर में इसका प्रथम परीक्षण भी हुआ, जो सफल रहा. प्रांजल का कहना है कि आजमगढ़ की धरती क्रांतिकारी अैर सिद्धभूमि है.
परिवारवाले बोले- सोचा तो बहुतों ने पर आगे प्रांजल आया
वहीं प्रांजल के परिवारवालों का कहना है कि वह बचपन से ही बिल्कुल अलग रहता था. देश की सेवा भारत माता के प्रति उसका बहुत प्रेम था. यही कारण रहा कि उसने न अपने बारे में सोचा और ना ही परिवार के बारे में, उसने अपने शरीर को दान कर दिया. अगर कुछ उसे होता है तो गर्व तो होगा ही साथ ही बहुत तकलीफ भी होगी.
परिजनों का कहना है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन के ट्रायल के लिए एक मानव शरीर की जरूरत है. सोचा तो बहुत लोगों ने लेकिन आगे कोई नहीं आया. प्रांजल आगे आया. समाज व देश के लिए उसने अपने रूरीर को दांव पर लगा दिया, जिसका हम लोगों को गर्व है.
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