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चयनापीक में 90 के दशक के बाद अब फिर से पहाड़ी से भूकटाव फिर शुरू हो गया है. पहाड़ों में पड़ रही बड़ी- बड़ी दरारें यहां के रहनुमाओं के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं.
कहां से कितना है खतरा
पिछले कुछ समय से नैनीताल में भूस्खलन हो रहा है. इसमें बलियानाला से तेजी से भूकटाव हो रहा है जिसके चलते 80 परिवारों को वहां से विस्थापित किया गया है. इसके साथ ही राजभवन मार्ग, भवाली मार्ग,कालाढूंगी मार्ग,पंगुट मार्ग में ना सिर्फ दरारें आ रही हैं बल्कि धंसाव भी हो रहा है. इसके साथ ही चायनापीक में बड़ी दरारों से सैनिक स्कूल, शेरवानी समेत अन्य इलाकों को खतरा बना हुआ है. वहीं, टिफिनटॉप की पहाड़ी से भी पत्थर और मलबा गिरने का भय आयरपटा क्षेत्र में बना हुआ है. कुमाऊं विवि के भूगर्भ वैज्ञानिक बहादुर सिंह कोटलिया कहते हैं कि नैनीताल की पहाड़ियां काफी संवेदनसील है. नैनीताल के बीच लेक थ्रस्ट गुजरता है जिसमें हलचल का ही प्रभाव है. हालांकि, कोटलिया ये कहते हैं कि अगर इसको बचना है तो वाहनों के दबाव को कम करना होगा.
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बलियानाला से हो रहे कटाव पर हाई कोर्ट ने सरकार और जिला प्रसाशन निर्देश जारी किए थे. इसके बाद सरकार ने इस इलाके में एक विदेशी कंपनी, आईआईटी रुड़की और जीएसआई की टीम के साथ पूरे क्षेत्र का सर्वे किया था. जिला प्रशासन ने इसके बाद सरकार को तीन सुझाव ट्रीटमेंट के लिए भेजे थे. मगर आज तक काम शुरू नहीं किया जा सका है. हालांकि, कुमाऊं कमिश्नर अरविंद सिंह ह्यांकी का कहना है कि जो तात्कालिक तौर पर कार्य किए जाने है उसको लेकर डीएम नैनीताल को आदेश दिए हैं जिसमें सड़कों के रखरखाव, लोगों को खतरे वाले स्थान से हटाने के साथ अन्य कार्य हैं. साथ ही जो टाइम ट्रीटमेंट कार्य होना है उसको लेकर शासन की धनराशि और दिशा निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है.
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