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इस दौरान जब Information18hindi ने कोरोना पॉजिटव मरीज से बात की तो उसने पूरी कहानी बयां की.
जिले के राया निवासी 27 वर्षीय मनोज (बदला हुआ नाम) ने बताया, ‘मैं फरीदाबाद की एक कम्पनी में सिलाई का काम करता हूं. 15 जून को मुझे बुखार आया और मैंने दवा ले ली. उसके बाद मैं नौकरी पर चला गया लेकिन तबियत बिगड़ने लगी. तब 19 जून को मैंने अपना चेकअप कराया, जिसमें वायरल आया और प्लेटलेट्स गिरा हुआ था. दवा ली, कुछ राहत हुई लेकिन परिवार के लोग बोले कि घर आ जा.
यह भी पढ़ें: कोरोना मरीज को प्लाज्मा देने से न घबराएं, इस थेरेपी पर क्या कहते हैं एक्सपर्टराया में मेरा पूरा परिवार था, माँ, भाई, भाभी, पत्नी, दो बच्चे. यहां आकर भी मेरा बुखार ठीक नहीं हुआ. पांच दिन घर पर रहने के बाद 29 जून को मैं पत्नी के साथ जिला अस्पताल पहुंचा. वहां कम से कम दो सौ लोगों की भीड़ थी. मैंने कहा कि मेरी कोरोना की जांच कर लो. यह सुनकर मुझे वहां मौजूद स्टाफ के कई लोगों ने डांट लगाई और कहा कि किसने भेजा है. हालांकि काफी देर बाद नाक और मुंह में कुछ डालकर मेरी और पत्नी की जांच हुई और हमें घर भेज दिया. बोले रिपोर्ट आगरा से आएगी.’
पांच दिन काटे अस्पताल के चक्कर..
अगले दिन मैं रिपोर्ट पूछने गया तो बोले अभी नहीं आई. दूसरे दिन फिर गया, तीसरे और चौथे दिन भी मुझे भगा दिया और कहा कि रिपोर्ट नहीं आई. पांचवें दिन जब मैं अपनी पत्नी को लेकर पहुंचा तो बोले कि रिपोर्ट आएगी तो बता दिया जाएगा, रोज चक्कर क्यों काट रहे हो. मैंने कहा पांच दिन हो गए, तो बोले कि शायद पॉज़िटिव है, ज्यादा जल्दी है तो सीएमओ ऑफिस चले जाओ और वहां पता करो.
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सीएमओ ऑफिस में मची भगदड़
मैंने बाइक उठाई और पत्नी को पीछे बिठाया. हम दोनों जिला अस्पताल से सीधे सीएमओ ऑफिस पहुंचे. वहां मैंने पत्नी को ऑफिस के बाहर बिठाया और मैं ऊपर चढ़कर ऑफिस के अंदर पहुंच गया. वहां न किसी ने मुझसे कुछ पूछा और न ही रोका. वहां जब मैंने अपना नाम बताया और रिपोर्ट मांगी, वहां कोरोना-कोरोना का हल्ला मच गया. सब मुझसे दूर-दूर भागने लगे, एकबार लगा जैसे वहां बम फट गया है. मैं बुरी तरह डर गया.
मैंने पूछा क्या हुआ, तो बोले कि कोरोना मरीज हो, सबसे दूर रहो. रिपोर्ट दो दिन पहले ही पॉज़िटिव आई है. सम्पर्क कर रहे थे पर हो नहीं पाया. उन्होंने कहा नम्बर गलत था, जबकि मैंने सब ठीक दिया था. वहीं पत्नी की रिपोर्ट नेगेटिव थी. इसी हड़कंप के बीच मुझे एम्बुलेंस में बैठने को कहा गया.
पत्नी से भी नहीं मिल सका, कई घण्टे करती रहीं इंतजार..
इस हंगामे के बीच मैं अपनी पत्नी से भी नहीं मिल सका. मुझे आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया गया. वहां पहुंचने में करीब आधा-पौन घण्टा लगा. काफी देर बाद मुझे मौका मिल पाया तो मैंने अपने घर फोन किया और इतना ही बता पाया कि पत्नी ऑफिस के बाहर बैठी है, मुझे अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है. उन्हें घर ले जाओ. मेरी पत्नी कई घण्टों तक सीएमओ ऑफिस के बाहर बैठी रहीं, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था. वो बहुत डर गई थीं. रो रही थीं, हालांकि भाई उन्हें लेकर गया. तब कहीं मुझे चैन मिला.
आखिर कब आएगी कोरोना की दवा ( सांकेतिक तस्वीर).
तीन दिन बाद लिया घरवालों का सैम्पल, अभी नहीं आई रिपोर्ट
मुझे भर्ती करने के तीन दिन बाद मेरे घरवालों के सैम्पल लिए गए. घर के आसपास सील किया गया. हालांकि दोबारा वहां कोई पूछने भी नहीं गया. वहीं घरवालों की रिपोर्ट भी अभी तक नहीं आई है.
प्रशासन बोला, गलत दर्ज था फोन नम्बर और पता
इस बारे में जब जिला सीएमओ ऑफिस में बात की गईं तो उनकी ओर से कहा गया कि मरीज का फोन नम्बर और पता गलत था. सैम्पल लेते वक्त दर्ज कराए गए नम्बर पर कई बार सम्पर्क किया गया, पते की भी जानकारी की गई लेकिन गलत दर्ज था इसलिए सम्पर्क नहीं हुआ.
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