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चीन बॉर्डर को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क के उद्घाटन के बाद नेपाल लगातार भारत विरोधी माहौल तैयार करने में जुटा है.
कभी भी आ-जा सकते हैं नेपाली
इस बारे में एसडीएम शुक्ला ने एक पत्र नेपाल के दार्चुला जिला के प्रमुख जिला अधिकारी को भी लिखा है. पत्र का जवाब नेपाल के अधिकारियों ने कुछ ऐसा दिया है कि हर कोई हैरान है.
नेपाल के दार्चुला ज़िले के सहायक प्रमुख ज़िला अधिकारी टेक सिंह कुंवर ने जवाब देते हुए कहा है कि नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में सुगौली संधि हुई थी. इसके मुताबिक लिम्पियाधूरा, कालापानी और लिपुलेख नेपाल का है. ऐसे में नेपाल के लोग अपनी ही जमीन पर अवैध घुसपैठ कैसे कर सकते हैं.इसके साथ ही नेपाली अधिकारी का कहना है कि कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख में नेपाली नागरिकों की आवाजाही सामान्य बात है. नेपाली नागरिक अपनी ज़रूरत के लिहाज से इन तीनों इलाकों में आ-जा सकते हैं.
भारतीय है यह इलाका
बता दें कि करीब 380 वर्ग किलोमीटर के इस भू-भाग में भारतीय सुरक्षा बलों के साथ ही भारत के लोग सदियों से रहते आ रहे हैं लेकिन eight मई को लिपुलेख सड़क के उद्घाटन के बाद नेपाल ने आक्रमण तरीके से लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख में अपना दावा ठोक दिया.
नेपाल का दावा है कि महाकाली नदी ही दोनों मुल्कों की विभाजन रेखा है. साथ ही नेपाल लिम्पियाधुरा से निकलने वाली कुटी-यांगती नदी को काली नदी मानता है. भारत भी महाकाली नदी को विभाजन रेखा तो मानता है लेकिन भारत काली नदी का उद्गम लिम्पियाधुरा के बजाय कालापानी मानता है.
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