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नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) के बयान पर बिहार के सीतामढ़ी (Sitamadhi) में माता सीता के जन्मस्थान पुनौराधाम के साधु-संत से लेकर आम लोग भी बेहद नाराज हैं.
पीएम के बयान पर निशाना
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टाराई ने ओली के बयान को बेतुका बताया है. वहीं, नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री रमेश नाथ पांडे ने ओली पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया, धर्म राजनीति और कूटनीति से ऊपर है. यह बहुत ही भावनात्मक विषय है. बेतुकी बयानबाजी से केवल शर्मिंदगी महसूस कराती है. अगर असली अयोध्या बीरगंज के पास है तो फिर सरयू नदी कहां है? नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के इस बयान पर भारत में भी नाराजगी जताई जा रही है. खासकर भारत के संत समाज में इसको लेकर गुस्सा है. बिहार के सीतामढ़ी में मां सीता के जन्मस्थान के साधु-संत से लेकर आम जन भी बेहद नाराज हैं.
Religion is above politics & diplomacy. Its a extremely emotive problem. Ridiculous statements solely trigger embarrassment. If Ayodhya is close to Birgunj, the place is the Sarayu river ?
— Ramesh Nath Pandey (@rameshnathpande) July 13, 2020
जब नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र घोषित करने की उठी मांग
बता दें कि नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग अक्सर उठती रही है. इसी मांग ने तब और सुर्खियां पाई थी जब नेपाल की ‘हिंदू’ पहचान की दोबारा बहाली के लिए चलाए जा रहे अभियान को मुसलमानों ने मांग कर दी. वर्ष 2015 में जब नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ रही थी तो कई मुस्लिम संगठनों ने मिलकर मांग उठाई थी कि इस्लाम को बचाने के लिए यह जरूरी है कि नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित हो. तब इस राप्ती मुस्लिम सोसायटी के अध्यक्ष अमजद अली, यूसीपीएन माओवादी के मुस्लिम मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष उदबुद्दीन फ्रू, सीपीएन-यूएमएलसीएल की अनारकली मियां और राष्ट्रवादी मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष बाबू खान पठान ने साफ तौर पर कहा कि हिंदू राष्ट्र का दर्जा खत्म होने के बाद से नेपाल में ईसाई मिशनरियां ज्यादा सक्रिय हो गई हैं, ऐसे में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र से अधिक हिंदू राष्ट्र में ही मुस्लिम महफूज रहेंगे.
वर्ष 2008 तक हिंदू राष्ट्र था नेपाल
बता दें कि सालों तक चले माओवादियों के सशस्त्र आंदोलन के बाद अप्रैल 2006 में नेपाल के राजा की शक्तियां सीमित कर दी गई थीं. इसके बाद 2007 में लागू अंतरिम संविधान में धर्मनिरपेक्षता को मूलभूत सिद्धांत के तौर पर स्वीकार किया गया. फिर वर्ष 2008 में चुनी गई संविधान सभा ने राजशाही को समूल समाप्त कर दिया थाय यानी साल 2008 तक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था.
नेपाल की आबादी में 80 प्रतिशत हिंदू और Four प्रतिशत मुस्लिम
नेपाल में हुई वर्ष 2011 की जनगनणा के अनुसार देश की कुल आबादी दो करोड़ 80 लाख के करीब है. इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक हिंदू हैं. मुसलमानों की आबादी करीब 10 लाख है यानी कुल आबादी का चार प्रतिशत है. 97 प्रतिशत मुस्लिम तराई क्षेत्र में और बाकी राजधानी काठमांडू और उसके आसपास के इलाकों में रहते हैं.
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