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कुशेश्वरस्थान (Kusheshwarsthan) के ASI मिथलेश सिंह कहते हैं कि बाढ़ का पानी थाने के कमरों में भर गया है. टेबुल के ऊपर सभी जरूरत कागजात रख कर बचाये हुए हैं.
पुलिस की मांग एक नाव
पुलिसकर्मिोयों की परेशानी बस इतनी ही नहीं है. थाना है तो केस मुकदमा होगा है, घटना-दुर्घटना पर इन्हें थाने से बाहर भी जाना भी पड़ेगा. कानून व्यवस्था भी संभालनी भी पड़ती है, लेकिन चारों तरफ पानी होने के कारण इनके पास अपने इलाके में जाने के लिए निजी नाव का सहारा लेना पड़ता है. यही नहीं उनके लिए अपने जेब से किराये के पैसे भी भरने पड़ते हैं.
बिना नाव कैसे होगा क्षेत्र की रखवाली एक तरफ सरकार बाढ़ से लड़ने के लिए महीनों से तैयारी करती है. जरूरत पड़ने पर लोगों को हर संभव मदद पहुचाने का दावा भी करती है, लेकिन सरकार के दावे के पोल खुद ब खुद खुल गयी कि जब थाने वाले को ही जिला प्रशासन की तरफ से सरकारी नाव नहीं दी गई तो भला पूरी तरह बाढ़ से प्रभावित लोगों की सुरक्षा करनेवाले पुलिस वाले आखिर अपने इलाके जाएं तो कैसे?
पुलिसकर्मी नाव की कर रहे है मांग
कुशेश्वरस्थान के ASI मिथलेश सिंह कहते हैं कि बाढ़ का पानी थाने के कमरों में भर गया है. टेबुल के ऊपर सभी जरूरत कागजात रख कर बचाये हुए हैं. नौकरी करनी है सो कर रहे हैं. पूरा इलाका बाढ़ में डूबा हुआ है. इसी से अंदाज लगाइये न कि थाना डूब गया तो क्षेत्र हाल होगा. निजी नाव में किराया दे कर इलाके में जाना आना पड़ता है. जिला प्रशासन के द्वारा एक नाव भी उपलब्ध नहीं करवाया गया है.
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