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ठीक एक साल पहले 31 जुलाई को इस रेडियो का शुभारंभ एसएसपी बबलू कुमार, जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा और तिनका तिनका की संस्थापिका वर्तिका नन्दा ने किया था. उस समय आईआईएम बेंगलुरु से स्नातक महिला बंदी – तुहिना और स्नातकोत्तर पुरुष बंदी- उदय को रेडियो जॉकी बनाया गया था.
आगरा जेल रेडियो के एक साल पूरे होने पर उत्तर प्रदेश के उपमहानिरीक्षक आनंद कुमार ने कहा कि आगरा जिला जेल का रेडियो अब काफी चर्चा में है. अपनी निरंतरता से उसने जेल को मानवीय बनाने में मदद की है. इस दिशा में वर्तिका नन्दा और तिनका तिनका का काम सरहानीय है. अब प्रदेश की पांच सेंट्रल जेल और 18 जिला जेल में रेडियो शुरु किए जा चुके हैं. हमें उम्मीद है कि यह रेडियो बंदियों की जिंदगी से अवसाद को कम करेगा.
आगरा जिला जेल के अधीक्षक शशिकांत मिश्र के नेतृत्व में इस जेल में जो नए प्रयोग हुए हैं, उनमें आगरा जेल रेडियो प्रमुख है और यह कोरोना के दौरान उनके मनोबल को बनाए हुए है. मुलाकातें बंद होने पर यही उनके संवाद का सबसे बड़ा जरिया है. इसकी मदद से बंदियों कोरोना के प्रति जागरुक किया जाता है और वे अपनी पसंद के गाने सुन पाते हैं. अपनी हिस्सेदारी को लेकर उनमें खूब रोमांच रहता है. महिला बंदियों को कजरी गीत गाने में विशेष आनंद आता है. रेडियो की पंच लाइन ‘कुछ खास है हम सभी में’ ने सबमें प्रेरणा का संचार किया है.
वर्तिका नन्दा ने बताया कि आगरा जेल का रेडियो जेल सुधार के तिनका मॉडल पर स्थापित किया गया है. उन्होंने हाल ही में जेलों पर एक साल अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है. आगरा की यह जेल अभी उनके काम के केंद्र में है और उन्होंने इस जेल को अपना लिया है. इससे पहले उनकी किताब- तिनका तिनका डासना- उत्तर प्रदेश की जेलों पर एक विस्तृत रिपोर्टिंग के तौर पर सामने आई थी. 2019 में तिनका तिनका इंडिया अवार्ड का थीम भी जेल में रेडियो ही था और इसका समारोह जिला जेल, लखनऊ में आयोजित किया गया था. अब इस मॉडल को कुछ और जेलों में स्थापित करने की योजना है.
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