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लॉकडाउन (LOckdown) के बाद रिवर्स पलायन को रोकने के लिए सरकार ने योजना तैयार की. इसके तहत क्लस्टरों में अलग-अलग कामों के साथ युवाओं को रोजगार योजनाओं की भी जानकारी दी जा रही है.
यह है रोजगार का प्लान
महानगरों से लौटे प्रवासियों के लिए नैनीताल में रोजगार का प्लान तैयार किया गया है. जिले में 11 कल्स्टरों के ज़रिए स्व-रोज़गार को अमलीजामा पहनाए जाने की कोशिश है. नैनीताल के ओखलकांड़ा को बकरी-मुर्गी पालन का क्लस्टर बनाया गया है तो बेतालघाट में मसालों की औरकोटाबाग ब्लॉक को ऑर्गैनिक खेती की जाएगी.
इसके साथ ही अन्य ब्लॉकों में बागवानी, मौन पालन, मशरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन समेत अन्य कामों से युवाओं को स्वरोज़गार से जोड़ा जा रहा है. हालांकि इसके साथ ही अब तक जिले में लौटे प्रवासियों में कुल 1150 युवाओं को मनरेगा की मजदूरी से जोड़ा गया है. 450 युवाओं ने स्वरोज़गार करने की भी इच्छा जताई है. हालांकि कोशिश सबको मुख्यमंत्री स्वरोज़गार योजना से जोड़ने की है.नैनीताल के सीडीओ विनीत कुमार ने कहते हैं कि सभी को रोज़गार से जोड़ने के लिए काम किया जा रहा है. क्लस्टरों में अगल-अलग कामों के साथ सरकारी योजनाओं की भी जानकारी दी जा रही है ताकि युवा पहाड़ में पैसा कमाने के साथ नए रोज़गार पैदा कर सकें. विनीत कुमार ने कहा कि जो मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की भी जानकारी दी जा रही है, जिसमें उनको लोन देने के बारे में भी बताया जा रहा है.
कुमाऊं में लौटे हैं 2 लाख प्रवासी
दरअसल लॉकडाउन के बाद पहाड़ में रिवर्स पलायन हुआ तो सरकार ने भी इन प्रवासियों को यहां रोकने की योजना तैयार की. अकेले कुमाऊं मण्डल में ही 1 लाख 80 हजार के करिब लोग वापस लौटे हैं. इनमें से पिथौरागढ में 25,284 लोगों की घर वापसी हुई है तो चम्पावत में 24268,बागेश्वर में 39949, अल्मोड़ा में 30779, नैनीताल में 32534, ऊधमसिंह नगर में 27072 लोग महानगरों से लौटे हैं.
पहाड़ लौटे युवाओं ने यहीं काम करने की इच्छा ज़ाहिर की है लेकिन गांव में मनरेगा समेत अन्य काम कुछ ही दिन के लिए मिल पा रहे हैं. नैनीताल से अपने गांव अल्मोड़ा लौटे जीवन बताते हैं कि वह four महीने से गांव में थे लेकिन काम नहीं मिल रहा था. अगर मनरेगा में काम आता भी है तो 2 से four दिन ही काम मिल पाता है और मजदूरी भी 200 रुपये ही है.
जीवन कहते हैं कि मनरेगा की मज़दूरी से घर खर्च चलाना मुश्किल है क्योकि गांव में इतने लोग लौटे हैं कि सबको काम मिल पाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि गांव में काम नहीं होने के चलते वह शहर लौट आए हैं.
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