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खास बातें
- पंजाब के दो प्रमुख नेताओं के बीच ‘मेलमिलाप’ की हो रही कोशिशें
- अमरिंदर की कैबिनेट में शामिल थे नवजोत सिद्धू
- उन्होंने मतभेदों के चलते दे दिया था इस्तीफा
चंडीगढ़:
सियासी तौर पर एक ही पार्टी में रहते हुए भी धुर विरोधी और आलोचक माने जाने वाले पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Sidhu) बुधवार को लंच पर एक-दूसरे से मिले. इस मुलाकात के बाद इन चर्चाओं को बल मिला है कि क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू को राज्य की कैबिनेट में फिर से स्थान मिल सकता है. सीएम अमरिंदर सिंह का मानना था कि सिर्फ तीन साल पहले ही बीजेपी से कांग्रेस में आए नवजोत सिद्धू को अभी राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद नहीं दिया जा सकता.
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अमरिंदर सिंह की ‘कप्तानी’ वाली पंजाब सरकार में सिद्धू मंत्री बनाए गए थे थे लेनि उन्होंने पिछले साल पद छोड़ दिया था और स्वनिर्वासन (self-imposed exile) में चले गए थे. पंजाब के इन दोनों प्रमुख नेताओं क बीच मतभेद को पार्टी के लिए बड़ी अड़चन के रूप में देखा जा रहा है. खासतौर पर तब, जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होने में केवल दो ही वर्ष शेष हैं. वैसे भी, देश में कांग्रेस शासित राज्यों की संख्या गिनीचुनी ही रह गई है. सिद्धू किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर काफी मुखर रहे हैं और उनकी कुछ आलोचनाएं, अपने ही राज्य की, अपनी ही पार्टी की सरकार को केंद्र में रखकर थीं. ऐसे में पार्टी के दोनों नेताओं के बीच की दूरी को ‘पाटने’ का प्रयास किया गया है. शीर्ष नेतृत्व की ओर से उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत को राज्य में पार्टी प्रभारी बनाया गया है और उनके हस्तक्षेप के बाद दोनों नेताओं के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश की गई है. गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से सिद्धू ने सीएम अमरिंदर की आलोचना से परहेज किया है. यही नहीं, उन्होंने किसान कानून के मुद्दे पर अमरिंदर के दिल्ली में विरोध मार्च का भी समर्थन किया था.
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