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बिहार (Bihar) में हो रहे कोरोना (Corona) विस्फोट के कारण सभी मरीजों को समुचित इलाज दे पाने में सरकारी अस्पाताल (Govt. Hospital) कम पड़ जा रहे हैं. कोरोना के लिए बनाए गए कोविड केयर सेंटर (Covid Care Centre) हों या एनएमसीएच, पीएमसीएच और एम्स हर जगह मरीजों की संख्या बढ़ने से सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं.
निजी अस्पतालों में 20 से 25% बेड हो कोविड पेशेंट के लिए
डीएम ने कोरोना मरीजों के लिए निजी अस्पतालों में कुल बेड के 20 से 25% आरक्षित आइसोलेशन वार्ड के रूप में रखने और किसी भी मरीज को इलाज से मना नहीं करने को कहा. उन्होंने कहा कि जो अस्पताल उपयुक्त होगा उसे इंडियन किट भी उपलब्ध कराई जा सकती है. उसके उपरांत पॉजिटिव मरीज को आइसोलेशन वार्ड और नेगेटिव पेशेंट को जनरल वार्ड में रखा जा सकता है.
कोविड-19 की सरकारी व्यवस्थाकोविड-19 से संबंधित मरीजों के लिए तीन तरह की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है. पहला होम आइसोलेशन एवं उसकी निगरानी दूसरा माइल्ड सिंप्टोमेटिक मरीजों के लिए कोविड केयर सेंटर जिला एवं अनुमंडल स्तर पर एवं कोविड केयर हॉस्पिटल जिला स्तर पर बनाया गया है. तीसरा डेडीकेटेड कोविड-19 एनएमसीएच पीएमसीएच एवं एम्स में बनाया गया है.
मानक पूरा करने वाले अस्पताल ही कर पाएगें इलाज
निजी अस्पताल को कोविड-19 के तहत सिविल सर्जन कार्यालय में आवेदन देने तथा कोविड-19 से संबंधित प्रोटोकॉल का पालन करने और स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑनलाइन पोर्टल पर जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया. कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए इच्छुक निजी अस्पताल सिविल सर्जन कार्यालय में आवेदन दें और सेवा भाव से मरीजों का इलाज करें. निजी अस्पताल में जो मरीज अपने खर्च पर इलाज के लिए तैयार होगा उसी मरीज को निजी अस्पतालों को दिया जाएगा बशर्ते कि अस्पताल मानक हो.
निजी अस्पतालों को भी जांच की अनुमति
संक्रमित व्यक्ति को जांच के लिए अनुमंडल स्तर जिला स्तर पर एवं एनएमसीएच पीएमसीएच आईजीआईएमएस एम्स में व्यवस्था की गई है. कोरोना जांच हेतु निजी क्षेत्र के पैथोलॉजी लैब को मान्यता दी गई है, इसी क्रम में पारस अस्पताल को रैपिड एंटीजन कीट के माध्यम से कोविड-19 की जांच की अनुमति दी गई है.
रखना हो मरीज का रिकॉर्ड
संदिग्ध मरीजों जैसे बुखार सर्दी सांस लेने में तकलीफ की जांच फ्लू कॉर्नर में करना और संक्रमित मरीजों की पूरी रिकार्ड भी रखना अनिवार्य होगा. सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री इलनेस की स्क्रीनिंग और निगरानी निजी अस्पतालों में भी की जानी है इसकी जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय को उपलब्ध कराने को कहा.
कम पड़ रहे हैं सरकारी अस्पताल
मालूम हो कि बिहार में हो रहे कोरोना विस्फोट के कारण सभी मरीजों को समुचित इलाज दे पाने में सरकारी अस्पाताल कम पड़ जा रहे हैं. कोरोना के लिए बनाए गए कोविड केयर सेंटर हों या एनएमसीएच, पीएमसीएच और एम्स हर जगह मरीजों की संख्या बढ़ने से सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं.
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