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पार्षदों ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने सीता साहू को महापौर के पद पर इस आशा और विश्वास के साथ बिठाया था कि उनके नेतृत्व में पटना नगर निगम का चौमुखी विकास होगा. लेकिन मेयर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
पार्षदों ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने सीता साहू को महापौर के पद पर इस आशा और विश्वास के साथ बिठाया था कि उनके नेतृत्व में पटना नगर निगम का चौमुखी विकास होगा. पटना अपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगा. राजधानी के लोगों को एक सुंदर और स्वच्छ शहर में रहने का सपना साकार होगा. लेकिन मेयर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
पार्षदों ने आरोप लगाया कि मेयर ने अपने दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन नहीं की, बल्कि भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी को पटना नगर निगम में जमकर बढ़ावा दिया. आउटसोर्सिंग के नाम पर निगम में जमकर लूट-खसोट की गई. मेयर चाहतीं तो हर महीने प्रत्येक वार्ड से 5 लाख रुपये बचा सकती थी, लेकिन इसके उलट जो काम एक रुपए में निगम कर सकता था उसे दो रुपये में कराया गया.
पार्षदों ने आरोप लगाया कि मेयर का कारनामा उस दिन जग जाहिर हो गया जिस दिन कंकड़बाग के एक ठेकेदारों ने खुलेआम 25 कमीशन की मांग का आरोप लगाया. मेयर सीता साहू के कार्यकाल में पार्षदों का मान सम्मान काफी गिरा है. उन्हें हर एक काम के लिए टेबल-टेबल भटकना पड़ता है. पार्षदों ने कोरोना महामारी और जलजमाव को लेकर भी मेयर पर निशाना साधा.
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