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देवस्थानम एक्ट (Devsthanam Act) को चुनौती देने वाली याचिका खारिज होने से उत्तराखंड सरकार को भले राहत मिली हो, मगर पंडा-पुरोहित नाराज है. कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश ने भी कहा कि कांग्रेस पंडा-पुरोहितों के साथ खड़ी है.
हरिद्वार के मंदिरों को छेड़ने की हिम्मत नहीं
रुद्रप्रयाग में न्यूज़ 18 से बातचीत में केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि जल्द ही तीर्थ पुरोहित हाईकोर्ट के फैसले की समीक्षा कर आगे की रणनीति तय करेंगे. देहरादून में चार धाम पंडा पुरोहित महापंचायत के प्रवक्ता रजनीकांत सेमवाल ने न्यूज़ 18 को कहा कि सरकार यदि बेहतर व्यवस्थाओं के नाम पर मंदिरों का अधिग्रहण कर रही है तो फिर उसे राज्य के सभी मंदिरों का मैनेजमेंट अपने हाथ में ले लेना चाहिए. रजनीकांत से आरोप लगाया कि सरकार केवल पहाड़ के मंदिरों पर अपना कब्ज़ा जमा रही है, हरिद्वार के मंदिरों पर बात करने की भी उसकी हिम्मत नहीं है.
कांग्रेस पंडा-पुरोहितों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि कोर्ट के फैसले पर वह कुछ नहीं कहना चाहते लेकिन अच्छा होता कि राज्य सरकार पंडा पुरोहितों से विचार-विमर्श कर लेती. हरीश रावत ने कहा कि चारों धाम, उनके पंडा-पुरोहित, सांस्कृतिक विरासत के ध्वजवाहक हैं. सरकार को उनका संरक्षण करना चाहिए.
हल्द्वानी में न्यूज़ 18 ने इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश से बातचीत की. इंदिरा हृदयेश ने भी कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पंडा-पुरोहितों के साथ खड़ी है.
2022 में हो सकती है मुश्किल…
बहरहाल चार धाम देवस्थानम एक्ट को लेकर कोर्ट के ताजा फैसले से सरकार भले ही राहत महसूस कर रही हो, लेकिन 2022 के चुनाव से ठीक पहले उठाया गया यह कदम उसके लिए कई चुनौतियां भी खड़ी कर सकता है.
खासकर पहाड़ और मैदानी क्षेत्रों के मंदिर, हिंदू धर्मस्थलों और अन्य धर्मों के धार्मिक स्थान, आदिकाल से चली आ रही परंपराओं से छेड़छाड़ जैसे पंडा पुरोहितों के आरोपों को नजरअंदाज़ करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा. खासकर तब जब विपक्ष विपक्षी कांग्रेस सत्ता में आते ही चार धाम देवस्थानम एक्ट को खारिज करने की बात सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हो.
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